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QRT बैठक में पुष्प उत्पादन पर दिया बल

सोलन: डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पुष्प एवं भूदृश वास्तुकला विभाग’ में दो दिवसीय क्यू॰आर॰टी॰ की बैठक का आयोजन किया गया। इसमें पुष्प कृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत देश भर के 7 केंद्रों के पुष्प वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

बैठक के उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल मुख्य अतिथि रहे। प्रो चंदेल ने क्यू.आर.टी. के अध्यक्ष डॉ एस.के. चक्रवर्ती और सदस्यों डॉ प्रीतम कालिया, डॉ सी अस्वथ, डॉ रंजीत कुमार, डॉ व राममूर्ति और पुष्प अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ के.वे. प्रसाद का स्वागत किया।

इस अवसर पर प्रो. चंदेल ने कहा कि पुष्प उत्पादन का देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है क्योंकि किसानों की आय को दो से तीन गुना बढ़ाने में यह बहुत मददगार हो सकती है। उन्होनें सभी वैज्ञानिकों को नई तकनीकों के विकास करने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

बैठक के पहले दिन सभी विश्वविद्यालयों से आए वैज्ञानिकों ने अपने अपने केन्द्रों द्वारा वर्ष 2018-2023 के बीच किए गए अनुसंधान कार्यों पर प्रस्तुति दी जिसकी समीक्षा की गई। दूसरे दिन पुष्प विज्ञान विभाग का क्षेत्र का भ्रमण किया जिसमें अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के विभिन्न प्रयोगों का आकलन किया गया। क्यू.आर.टी. के सभी सदस्यों द्वारा नेटिव ओरनामेंटल्स पर किए गए कार्यों का सहराया गया। अध्यक्ष द्वारा विभाग द्वारा बनाए गए कारनेशन के म्यूटेंट्स, गुलदाउदी एवं एल्स्ट्रोमीरिया की ओपन पोलिनेटेड सिलेक्शन एवं ग्लैडिओलस के हाइब्रिड पर शोध कार्यों पर वैज्ञानिकों को बधाई दी।

QRT

विभाग की ड्राई फ्लावर प्रयोगशाला का भी भ्रमण किया गया। इसके पश्चात हिमाचल प्रदेश के पुष्प उत्पादकों एवं वैज्ञानिकों की संवाद बैठक की गई जिसमें कारनेशन उत्पादक सुरेश चंदेल, जिप्सोफिला एवं कारनेशन उत्पादक रवि दत्त शर्मा एवं व्यर्थ फूलों की अगरबत्ती बनाने वाली कंपनी युवान वेंडरज के प्रबंध निदेशक रविंद्र पराशर ने अपने-अपने अनुभव एवं समस्याओं का साझा किया। सभी किसानों ने उनके विकास में पुष्प विभाग के वैज्ञानिकों की भागीदारी की प्रशंसा की और संतोष जताया। धारों की धार में प्रगतिशील किसान कारण ठाकुर की कारनेशन के पॉलीहाउस का भ्रमण भी किया। इस बैठक में विभाग के हैड डॉ एस.आर. धीमान सहित सभी वैज्ञानिकों ने भाग लिया।