सोलन: हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर फैली चीड़ की पत्तियों ने जंगलों में आग का खतरा बढ़ा दिया है। पर्यावरण में बदलाव और बढ़ते तापमान से पूरी दुनिया में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस वर्ष जनवरी में अमेरिका के दक्षिण कैलिफोर्निया में एक बड़े इलाके को प्रभावित किया, जिसमें भारी नुकसान हुआ। प्रदेश की अनेक सड़कों के दोनों और फैले चीड़ के जंगलों से गिरने वाली चीड़ की पत्तियों को चलते वाहनों के पहियों के साथ लिपटते देखा जा सकता है। भारी वाहनों से निकलने वाली चिंगारियों या बीड़ी-सिगरेट की चिंगारी से कभी भी जंगल धधक सकते हैं।

शोधकर्ताओं की माने तो जंगलो में लगने वाली आग का मुख्य कारण जंगलो में गिरने वाली चीड़ की पत्तियों को ही माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में चीड़ के पेड़ की लम्बी- नुकीली पत्तियां बेहद ज्वलनशील होती हैं, पहाड़ों में आग लगने और आग फैलने की घटनाओं में इन पत्तियां की मुख्य भूमिका होती है। गर्मियों के शुरू होते ही चीड़ की पत्तियों के गिरने का सिलसिला भी शुरू हो गया है, लेकिन अधिकतर स्थानों पर इन पत्तियों को उठाने या साफ करने वाला कोई नहीं है।
सोलन हरिपुरधार, नाहन-शिमला और नाहन-बागथन मार्ग पर भी इन दिनों भारी मात्रा में चीड़ की पत्तियों को देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों ने सड़कों के दोनों किनारों पर फैली इस पत्तियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे कभी भी जगंलो में आग लग सकती है। वहीं कई स्थानों पर सड़क के किनारों पर जंगलों के कटान के बाद रखी गई लकड़ी भी स्थानीय लोगों की चिंता का कारण बनी हुई है।
यूं तो हिमाचल प्रदेश में चीड़ की पत्तियों को जंगलो से एकत्रित करने और हटाने के लिए एक नीति बनी है, लेकिन जानकारी और संबधित उद्योगों के अभाव में हिमाचल के एक बड़े भाग में अब भी चीड़ की पत्तियों को जंगलो से एकत्रित करने में कोई रूचि नही ले रहा है। जंगलों में आग को नियंत्रित करने के लिए अक्सर फायर लाईन बनाई जाती हैं। लेकिन प्रदेश की सड़कों के किनारे फैली चीड़ की पत्तियों को कौन हटाएगा कोई नही जानता है।
प्रदेश में चीड़ के जंगलों का फैलाव ..
इंडो जर्मल धौलाधार प्रोजेक्ट के अंतर्गत किए गए अध्ययन के अनुसार हिमाचल प्रदेश की 1,25,885 हैक्टेयर भूमि पर चीड़ के जंगलो का फैलाव है। अध्ययन के अनुसार एक हैक्टेयर भूमि पर लगभग 1.2 टन चीड़ की पत्तियां गिरती हैं। इस हिसाब से प्रति वर्ष हिमाचल प्रदेश के जंगलों में लगभग 1,51,062 टन चीड़ की पत्तियां गिरती हैं। इस अध्ययन के अनुसार हिमाचल प्रदेश के जंगलों में इतनी बड़ी मात्रा में जवलनशील चीड़ की पत्तियां का गिरना जंगलों में आग का मुख्य कारण है।
क्यों बनी चीड़ की पत्तियों को एकत्रित करने और हटाने की नीति
इस नीति को बनाने का मुख्य उदेश्य जगलों से जवलनशील चीड़ की पत्तियां को हटाने के लिए लोगों को प्रेरित करना था। साथ ही उद्योग जगत को चीड़ की पत्तियों को इंधन के रूप में उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना था। चीड़ की पत्तियां पर आधारित उद्योग लगाने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी का भी प्रावधान है।
क्या कहते है, DFO नाहन और लोक निर्माण विभाग
डी.एफ.ओ. नाहन अवनी राय से जब चीड़ की पत्तियों को जंगलो से एकत्रित करने और हटाने के लिए बनी नीति के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिला सिरमौर में अभी तक पत्तियों को जंगलो से एकत्रित करने के लिए एक भी आवेदन नहीं मिला है, और ना ही जिला में इससे संबधित कोई उद्योग लगा है।
उन्होंने कहा कि वन विभाग फायर लाईनों की देख रेख करता रहता है। सड़कों से चीड़ की पत्तियों को हटाने को लेकर उन्होंने कहा कि यह काम लोक निर्माण विभाग को देखना है।
वहीं लोक निर्माण विभाग के प्रमोद आर्य ने बताया कि सड़क से चीड़ की पत्तियों को हटाने के लिए किसी प्रकार के विशेष बजट का प्रावधान नही है। लोक निर्माण विभाग आवश्यकता पड़ने पर सड़क की सफाई करता रहता है।