नाहन : चंडीगढ़, जिसे अक्सर “ब्यूटीफुल सिटी” कहा जाता है, की कहानी वास्तव में अद्भुत है। 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद, जब पंजाब की राजधानी लाहौर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया, तब भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक नई, आधुनिक और योजनाबद्ध राजधानी बनाने का निर्णय लिया।
1948 में, पंजाब सरकार ने चीफ इंजीनियर परमेश्वरी लाल वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने एक उपयुक्त स्थान की तलाश शुरू की। अंततः, उन्होंने शिवालिक रेंज के करीब 50 गांवों को चुना। यह स्थान कई कारणों से उपयुक्त था। एक तो यह यह पंजाब के केंद्र में था, दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं था, और यहां की जमीन प्राकृतिक जल निकासी के लिए भी अनुकूल थी।
चंडीगढ़ का मास्टर प्लान अमेरिकी फर्म “मिसस मायर विटल एसे एंड ग्लास” द्वारा बनाया गया। प्रमुख आर्किटेक्ट्स अल्बर्ट मेयर और मैथ्यू नोविकी ने शहर के लिए पंखे के आकार का एक डिज़ाइन तैयार किया। हालांकि, 1950 में विमान दुर्घटना में नोविकी की मृत्यु के बाद यह योजना अधूरी रह गई।
1951 में,स्विट्जरलैंड में जन्मे फ्रांसीसी नागरिक आर्किटेक्ट ले कोर्ब्यूज़िए को चंडीगढ़ का चीफ आर्किटेक्ट नियुक्त किया गया। इन्होंने 1952-1959 के बीच भारत में अपने आठ साल के प्रवास के दौरान इस खूबसूरत शहर की रचना की। उन्होंने शहर और भवनों के डिजाइन ऐसे तैयार किया कि ये आज भी आधुनिक युग के लगते हैं। ली कार्बूजिए के कारण ही चंडीगढ़ देश का पहला प्लान और खूबसूरत शहर बन सका।
चंडीगढ़ का औपचारिक उद्घाटन 7 अक्टूबर 1953 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था
कॉर्बूसियर ने शहर को दो चरणों में बनाने की योजना बनाई थी, जहां पहले चरण में 150,000 लोगों के लिए सेक्टर 1 से 30 शामिल थे, जबकि सेक्टर 31-47 में लगभग आधा आधा मिलियन की घनी आबादी थी। चण्डीगढ़ को बनाने वाले आर्किटेक्ट कॉर्बूसियर 13 को एक अशुभ संख्या मानते थे। कॉर्बूसियर 13 को अशुभ संख्या मानते थे इसलिए उन्होंने इस सेक्टर को छोड़ दिया, जिससे चंडीगढ़ में आज भी 13 सेक्टर नहीं हैं।
चंडीगढ़ का कैपिटल कॉम्प्लेक्स, जिसमें असेंबली और सेक्रेटेरियट बिल्डिंग शामिल हैं, मॉडर्न आर्किटेक्चर का शानदार नमूना हैं। इन भवनों के अलावा, चंडीगढ़ में एक 26 मीटर ऊंची धातु की प्रतिमा भी है। चंडीगढ़ केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक विचार और संस्कृति का प्रतीक है। यह स्वतंत्र भारत के नए दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जो आधुनिकता की ओर अग्रसर है।