सोलन: प्रदेश में 14 साल से कम बच्चों की रीडिंग व राइटिंग हैविट को विकसित करने की दिशा में गांंधी स्मारक निधि कार्य कर रही है। इसी कड़ी मेंगांंधी स्मारक निधि हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों के 500 बच्चों को महात्मा गांधी सामुदायिक केंद्र से जोड़ चुका है। इसमें शिमला, सोलन और मंडी जिले की सात ग्राम पंचायतों के करीब 40 गांवों और 25 स्कूलों के लगभग 500 बच्चे महात्मा गांधी सामुदायिक केंद्र से जुड़े है।
3 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे आते हैं जो आठवीं कक्षा तक के होते हैं। इन्ही पर अधिक फोकस किया जाता है। छोटे बच्चों को बड़े बच्चों के साथ सीखने का अवसर मिलता है और बड़े बच्चे एक दूसरे से चर्चा कर पाते हैं। पुस्तकालय में बच्चों की भाषा, ज्ञान व उच्चारण पर ध्यान दिया जाता है। बच्चों को अपने विचार प्रकट करने व दूसरे बच्चों के मनोभाव सुनने का अवसर भी मिलता है। बच्चों को स्वयं की कहानी, कविताएं लिखने के लिए प्रेरित किया जाता है। महीने में तीन दिन इन केंद्रों में यह गतिविधि की जाती है जिससे बच्चों में पढऩे लिखने व सीखने का मन बनता है।
वालंटियर गांव में बच्चों के घरों में विजिट करते हैं और बच्चों को घर पर अपनी होम लाइब्रेरी बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। अभिभावकों से बच्चों की सहायता करने के विषय में चर्चा की जाती है। इससे बच्चों के पढऩे के लिए माहौल बनता है और वह पढऩे के लिए प्रेरित होते हैं। इससे बच्चे अपने सिलेबस से हटकर पढऩे व सीखने की कोशिश करते हैं। बच्चों में रचनात्मकता उत्पन्न होती है और उनमें विषय को केवल रटने की प्रवृत्ति कम होती है। सामुदायिक केंद्र के पुस्तकालय से बच्चों को पुस्तकें भी इशू की जाती हैं।
ग्रामीण परिवेश में शहरों के मुकाबले गांव के बच्चों को पढऩे-लिखने व सीखने के लिए पर्याप्त सुविधा और प्रेरणा नहीं मिलती है। इन सामुदायिक केंद्रों के पुस्तकालय बच्चों को पढ़ाई से जोडऩे का अवसर प्रदान करते हैं। बच्चों के साथ किए जाने वाले कार्य जिसमें रीडिंग एंड राइटिंग, फेस्टिवल, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, ड्राइंग कंपटीशन, साइंस फेयर व समय-समय पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम उन्हें सीखने और और आगे बढऩे का अवसर प्रदान करते हैं। गांव के बच्चे मंच पर जाने से हिचकिचाते हैं। उन्हें समूह में कार्य करने का अवसर मिलता है जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
गांधी स्मारक निधि, पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष संजय सिंह एवं सचिव आनंद कुमार के प्रयासों से हिमाचल में महात्मा गांधी सामुदायिक केंद्र समेत अन्य गतिविधियां की जा रही है। गांधी स्मारक निधि के प्रकल्प निदेशक अशोक शरण ने बताया कि देश की आजाद होने के बाद में संयुक्त पंजाब प्रांत में गांधी स्मारक निधि का काफी कार्य था जिसमें इसका पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। गांधी जी वर्ष 1921 से 1946 के मध्य 10 बार हिमाचल प्रदेश आए। उन्होंने शिमला के ईदगाह मैदान, रिज व अन्य स्थानों पर मीटिंग व प्रार्थना सभाएं की, आर्य समाज मंदिर गए। महिलाओं को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित किया। वहां के लोगों ने उन्हें तिलक स्वराज फंड के लिए सोना और नकदी दान में दी। गांधी जी और समकालीन नेताओं पर महालेखा परीक्षक, भारत सरकार शिमला मे एक म्यूजियम बना रहा है।
गांधी स्मारक निधि, पट्टीकल्याणा पानीपत की टीम प्रकल्प निदेशक अशोक शरण के नेतृत्व में सुनीता शर्मा, गिरिराज के साथ हिमाचल प्रदेश के इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। स्थानीय स्तर पर पुष्पा शर्मा के नेतृत्व में बाकी वालंटियर देवकाला, पूनम, निशा बाला, कल्पना शर्मा, प्रेमा लक्ष्मी सभी चिंहित गांवों मे काम कर रही है।
अशोक शरण ने बताया कि हिमाचल सरकार को पत्र लिख कर मांग की है कि गांधी स्मारक निधि को स्थाई रूप से यहां कोई जगह उपलब्ध करवाई जाए। इससे संस्था गांधी विचारों के अनुरूप हिमाचल प्रदेश में बच्चों, युवाओं, महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ -साथ अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकंे।