नाहन : हिमाचल प्रदेश के नाहन निवासी गिरीश योगी, जिनका जन्म पिता देवी सहाय और माता द्वारकी देवी के घर हुआ, आज हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में योग जागरूकता और जनसेवा के प्रेरक उदाहरण बन चुके हैं। उन्होंने बचपन से ही धार्मिक वातावरण में जीवन व्यतीत किया और योग साधना को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।
उनके परिवार में योग परंपरा की गहरी जड़ें हैं। उनके पिता स्वामी देवी दयाल महाराज परिवार से संबंध रखते हैं और स्वयं भी योग में प्रवीण हैं। उनके दो भाई और एक बहन भी योग और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से लोगों का उपचार कर रहे हैं।

गिरीश योगी ने गुरुकुल कुरुक्षेत्रा से योग की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कुरुक्षेत्र स्थित दिव्य योग आश्रम मंदिर में लगभग 15 वर्षों तक योग आचार्य के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई योग्य योग आचार्य भी प्रशिक्षित किए, जो आज विभिन्न स्थानों पर योग के द्वारा लोगों का उपचार कर रहे हैं।
उन्होंने शाहबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पहवा, यमुनानगर और जगाधरी सहित अनेक शहरों में योग शिविरों का सफल आयोजन करवाया।
कोविड-19 महामारी के समय वे नाहन लौटे और तब से आयुष विभाग, सिरमौर से जुड़कर जनकल्याण और स्वास्थ्य संवर्धन के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
नाहन स्थित हिंदू आश्रम में उन्होंने दो वर्षों तक योग शिविर संचालित किए, जिसमें अग्रवाल सभा, हिमाचल योग सभा और ब्राह्मण सभा का सहयोग रहा। उन्होंने लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी एक वर्ष तक योग कक्षा चलाई और 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, निर्धनों और छात्रों को नि:शुल्क योग प्रशिक्षण दिया।
गिरीश योगी को नेति, धौति, नौली, बस्ती, कपालभाति, त्राटक, जल नेति और सूत्र नेति जैसे प्राचीन योग शुद्धिकरण अभ्यासों में विशेष दक्षता प्राप्त है। उनके शिविरों का विशेष फोकस मानसिक शांति, रोग निवारण, उत्तरजीविता तकनीक (Survival Skills) और शरीर-मन की एकात्मता पर होता है। वे अपने प्रशिक्षण में विशेष रूप से मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन और अस्थमा जैसी आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को ध्यान में रखते हैं। उनका मानना है कि योग तनाव और चिंता को दूर करता है और मानसिक स्पष्टता (mental clarity) को बढ़ाता है।
योग दिवस पर नियमित योगदान
गिरीश योगी ने शंभुवाला, नाहन कॉलेज और डाइट नाहन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर लगातार नि:शुल्क शिविरों का आयोजन किया है, जिससे हजारों लोगों को लाभ प्राप्त हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सारा कार्य वह बिना किसी शुल्क के कर रहे हैं।
अब बना रहे स्थायी योग आश्रम
गिरीश योगी का वर्तमान सपना एक स्थायी और समर्पित योग केंद्र की स्थापना है। वे यह योग आश्रम हिमाचल प्रदेश के यशवंत परमार जी के पैतृक गांव में अपनी निजी भूमि पर बना रहे हैं। यह आश्रम न केवल योग और ध्यान का केंद्र होगा, बल्कि इसमें प्राकृतिक चिकित्सा, आत्म-साक्षात्कार, और सामाजिक सेवा को भी प्रमुखता दी जाएगी।
गिरीश योगी ने हिल्स पोस्ट से बात करते हुए बताया कि “मेरा उद्देश्य योग को केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली के रूप में समाज तक पहुँचाना है। यह आश्रम आने वाले वर्षों में एक आदर्श साधना स्थल बनेगा,”
सफलता के इस सफर में जीवनसाथी का अमूल्य साथ
गिरीश योगी के इस तपस्वी और सेवा-समर्पित जीवन में उनकी पत्नी चेतना सिंह का भी विशेष योगदान रहा है। वे हर कदम पर तन, मन और धन से उनके साथ खड़ी रहीं। चाहे योग शिविर की व्यवस्था हो, समाज सेवा का कोई आयोजन या आश्रम निर्माण का कठिन मार्ग – उनकी पत्नी ने एक सच्चे सहयोगी की भूमिका निभाई है। उनका यह अदृश्य किंतु अटूट साथ ही गिरीश योगी की प्रेरणा और शक्ति का मूल स्रोत है।