शिमला: हिमाचल प्रदेश ने लाहौल-स्पीति जिला में 400 मेगावाट सेली और 120 मेगावाट मियार हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए तेलंगाना सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्य के इतिहास में यह अपनी तरह का पहला सहयोग है, जो राज्य की विशाल जल विद्युत क्षमता का दोहन करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से सचिव विद्युत राकेश कंवर और तेलंगाना सरकार की ओर से प्रधान सचिव विद्युत संदीप कुमार सुल्तानिया ने आज शिमला में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क मल्लू की गरिमामयी उपस्थिति में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
दोनों परियोजनाएं चिनाब नदी के तट पर 6200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित की जाएंगी और इनसे राज्य के युवाओं के लिए लगभग 5000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। समझौते के अनुसार, तेलंगाना सरकार ने अग्रिम प्रीमियम के रूप में 26 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और इन दोनों परियोजनाओं के चालू होने के बाद, हिमाचल प्रदेश को राज्य सरकार की नई ऊर्जा नीति के तहत क्रमशः पहले 12 वर्षों, अगले 18 वर्षों और शेष 10 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 30 प्रतिशत मुफ्त बिजली मिलेगी।
40 वर्षों के बाद, तेलंगाना सरकार दोनों परियोजनाओं को हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित कर देगी। इसके अतिरिक्त, तेलंगाना सरकार स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एलएडीएफ) के लिए परियोजनाओं की लागत का 1.5 प्रतिशत योगदान देगी और चालू होने के बाद एलएडीएफ के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त मुफ्त बिजली प्रदान करेगी। इन परियोजनाओं के प्रभावित परिवारों को 10 वर्षों की अवधि के लिए प्रति माह 100 यूनिट के बराबर मौद्रिक लाभ भी मिलेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क मल्लू का हिमाचल प्रदेश में स्वागत किया और कहा कि यह सहयोग अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अंतर-राज्यीय सहयोग के एक नए युग का प्रतीक है। उन्होंने तेलंगाना सरकार को बिजली बैंकिंग या व्यापार में आगे की साझेदारी की संभावना तलाशने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार राज्य के संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि जल विद्युत परियोजनाएं राज्य के लोगों को लाभ पहुंचाएं। हम दोनों परियोजनाओं की स्थापना के लिए तेलंगाना सरकार को पूरा सहयोग देंगे और जल्द से जल्द निर्माण शुरू होने की उम्मीद करते हैं। ये समझौते दोनों राज्यों के लिए लाभकारी होगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार राज्य के संसाधनों की लूट की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य के जल संसाधनों को संपदा के रूप में पहचान रही है और हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए बिजली क्षेत्र में आमूलचूल सुधार कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य ने अब तक 11500 मेगावाट अक्षय ऊर्जा का दोहन किया है, जिसका अधिकांश लाभ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मिला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इसे बदलने और यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्प है कि राज्य के जल संसाधनों का उपयोग राज्य के लोगों के आर्थिक विकास के लिए किया जाए।