अंधेरे में तीर मार रही हिमाचल पुलिस

ज्वालामुखी: अंधेरे में तीर मार रही हिमाचल पुलिस माईकल बलैकी के हत्यारों को पकडनें में अब तक नाकामयाब है । भले ही पुलिस की नजर में इस मामले में प्रमुख तौर पर पवन भारद्घाज ही आरोपी हों। लेकिन जब तक पवन के खिलाफ कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लग जाता उसका प्रत्यापण नहीं हो सकता। मात्र शक की बिनाह पर पवन को भारत नहीं लाया जा सकता। जांच किस दिशा में जा रही है इसका पता किसी को नहीं पता। कानूनी जानकार राकेश नारायण बताते हैं कि इस मामले में तो अपराधी भारत से बाहर जा चुका है। इसिलिये मामला पेचीदा हो गया। दोनों देशों के अपने कानून हैं लेकिन कानून तो तभी काम करेगा जब सबूत हाथ लगें। चार साल बाद सबूत कैसे जुट पायेंगे इसका जवाब जांच से जुडे पुलिस अधिकारियों के पास नहीं है।

सबसे रोचक तथ्य यह है कि बलैकी की चैरिटी संस्था टांग लेन आज भी चल रही है। भारत में संस्था की गतिविधयों की देखरे स्काटलैंड के एडिनबर्ग से अन्ना ओवन कर रही है। कत्ल की वारदात के दिन से ही माना जाता रहा है कि पवन भारद्घाज अपनी बीवी रिचेल ओवन के बलैकी से रिशतों को लेकर खुश नहीं था।

टांग लेन को माईकल बलैकी ने जब यहां स्थापित किया तो इसके पीछे मकसद यही था कि झुग्गी झोंपडी में रहने वाले गरीब बच्चों का सामाजिक आर्थिक उत्थान हो। इस मुहिम में उनके साथ एक तिब्बति बौद्घ भिक्षु जामयांग भी आ मिले। व संस्था ने अपना कार्यक्षेत्र चुरान खडड के आसपास का इलाका चुना।

हैरानी की बात है कि टांग लेन की संचालक अन्ना ओवन माइ्रकल बलैकी का परिवार व उसकी हत्या का कथित आरोपी पवन भारद्घाज व उसकी पत्नी रिचेल स्काटलैंड के एडिनबर्ग इलाके में ही आज भी रह रहे हैं। अन्ना कुछ लोगों के साथ सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक के माध्यम से संपर्क में रहती है।

अपने बारे में हाल ही में मिडिया में दिये बयान में रिचेल बताती हैं कि बैजनाथ के रहने वाले पवन से उसकी पहली मुलाकात उसके चाचा की दुकान में हुई व पहली ही नजर में रिचेल उस पा फिदा हो गई। बाद में दोनों विवाह बंधन में बंध गये। लेकिन रिचेल का बलैकी से संपर्क बना रहा। चूंकि रिचेल उसी चैरिटी में काम कर रही थी। बतातें हैं कि यहीं से पवन व बलैकी के रिशतों में खटपट शुरू हो गई। दरअसल पवन को अपनी ब्याहता रिचेल का बलैकी से मिलना जुलना पंसद नहीं आ रहा था। जिसे रिचेल हल्के में लेती रहीं। बतातें हैं कि उस दौरान जब रिचेल र्गभवती थी तों पवन व बलैकी में कई मर्तबा झगडा भी हुआ था। लेकिन टांग लेन की खोज खबर रखने वाले मेक्लोडगंज के कुछ लोंगों से पता चला कि झगडा तो वास्तव में चैरिटी के पैसे को लेकर था। बाकि तो बहाना है। बताते हैं कि टांग लेन के खतों में कुछ वित्तिय अनियमित्तता की बात उन दिनों सामने आई थी। जिसमें पवन का हाथ होने के सबूत बलैकी को मिले तो बात बिगडती चली गई।

माइ्रकल बलैकी की मौत के पीछे क्या कारण रहे होगें इसका पता तो चांच के बाद ही पता चल पायेगा। लेकिन तमाम मामले पर नजर दौडाई जाये तो पुलिस ने प्रारंम्भिक जांच में ही सबूतों को जुटाने में कोताही बरती। जिससे हत्यारा आज तक पकड में नहीं आ पाया। हालांकि ब्रिटिश मिडिया के दवाब में उन दिनों इस वारदात की जांच के लिये स्काटलैंड यार्ड की टीम तक भारत आयी थी। व उसने मेक्लोडगंज की वादियों में गहन छानबीन की थी। लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा था। अब ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड केमरून भारत दौरे पर आये हैं तो मिडिया फिर इस मामले को उठा रहा है। नये सिरे से हो रही जांच में पुलिस मात्र पूछताछ के आधार पर ही सबूत जुटाने जा रही है। मामला चार साल पहले का है। हालांकि उस दौरान हुये पोस्टमार्टम में एक ही बात सामने आयी थी कि मौत चोट लगने की वजह से हुईथी। पुलिस ने उस दौरान बलैकी का पर्सनल कंपयूटर को भी खंगाला था। लेकिन यहां भी कुछ हाथ नहीं लगा। हालांकि बलैकी रोजाना अपनी डायरी भी लिखता था। यही नहीं पुलिस को आज तक बलैकी के दो मोबाईल फोन नहीं मिल पाये हैं। जिनकी काल डिटेल महत्वपूर्ण सुराग हाथ दे सकती थी।