नाहन : देवभूमि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में एक अभूतपूर्व धार्मिक और सांस्कृतिक घटना होने जा रही है। जौनसार-बावर क्षेत्र के आराध्य देव, छत्रधारी चालदा महासू , पहली बार सिरमौर की धरती पर पधारेंगे। आगामी नवंबर माह में उनका आगमन शिलाई के पश्मी गांव में निर्धारित है, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्साह की लहर दौड़ गई है।
इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत 13 अप्रैल 2025 को होगी, जब महासू देवता के (डोरिया) देव चिह्न का पश्मी गांव में आगमन होगा। इसी दिन, नव-निर्मित भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और शिखा पूजन भी संपन्न होगा। इस ऐतिहासिक घटना की जानकारी आज पष्मी मंदिर के पुजारी आत्मा राम शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल 2025 को महासू महाराज (शङ्कुड़िया, वाशिक, बोठा, पावसी और चालदा)के (डोरिया) देव चिह्न का आगमन होगा। इसके बाद नवंबर 2025 में छत्रधारी चालदा महासू पश्मी मंदिर में पधारेंगे।

यह स्थान पांशी शांठी के मुलूक राजा छतरधारी चालदा महासू महाराज जी के बरवांश, यानी अगले पड़ाव, के आयोजन का केंद्र बनेगा। चालदा महासू महाराज जी संभवतः मंगशीर (नवंबर) में यहां विराजमान होंगे और अगले 1 वर्ष तक इस मंदिर को अपना मुख्य स्थल बनाएंगे।
विशिष्ट अतिथियों को निमंत्रण
इस ऐतिहासिक आयोजन की भव्यता को बढ़ाने के लिए, मंदिर समिति ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों को आमंत्रित किया है।
महासू देव: न्याय और आस्था के प्रतीक
महासू देव , वास्तव में चार देवताओं का सामूहिक नाम है, जिन्हें भगवान शिव का ही रूप माना जाता है। उन्हें न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है, और उनके दरबार में भक्त अपनी समस्याओं और विवादों के समाधान के लिए प्रार्थना करते हैं।
स्थानीय लोगों में उत्साह का सैलाब
सिरमौर में छत्रधारी चालदा महासू के पहले आगमन की खबर से स्थानीय लोगों में अपार उत्साह है। पश्मी गांव और आसपास के क्षेत्रों में इस ऐतिहासिक आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी उजागर करेगा।
पश्मी मंदिर: आस्था और कला का संगम
पश्मी मंदिर, ग्रामीणों की अटूट आस्था और शिल्प कौशल का अद्वितीय उदाहरण है। इसकी स्वर्णिम आभा और नक्काशीदार लकड़ी इसकी पहचान को परिभाषित करती हैं। यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि जौनसार-बावर और आसपास के क्षेत्रों से आने वाले भक्तों के लिए भी एक पवित्र स्थल बनेगा।