ऐतिहासिक नाहन फाउंड्री का अस्तित्व खतरे में, जंग खा रही मशीनरी

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नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन की ऐतिहासिक फाउंडरी की स्थापना 1875 में महाराजा शमशेर प्रकाश ने की थी। यहां उस समय लोहे का सामान बनता था। नाहन फाउंडरी ने शहर में लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी रोजगार दिया और आधे शहर का का चूल्हा इसी से जलता था। आज यह ऐतिहासिक इमारत खंडहर बन गई है। देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुकी इस ऐतिहासिक फाउंडरी को सरकार और राजनीतिक उपेक्षा ने खंडहर बना दिया है।

ऐतिहासिक नाहन फाउंड्री

1945 में फाउंडरी लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनी और 1964 में यह हिमाचल सरकार के अधीन आ गई। नाहन शहर के रोजगार की जननी फाउंडरी को 1988 में बंद कर दिया गया। एक समय में यहां बना सामान देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी जाता था। फाउंडरी के रखरखाव का जिम्मा अब पीडब्ल्यूडी विभाग के पास है। यहां लोहे की ग्रिल, लोहे के बेंच, लोहे की मजबूत टंकियां, लोहे की रेलिंग, गन्ने का रस निकालने की मशीन, मोटरें, कृषि के उपकरण अन्य दर्जनों लोहे का सामान यहां बनता था, जिसकी भारी डिमांड रहती थी।

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ऐतिहासिक नाहन फाउंड्री में अब कुछ सरकारी दफ्तर बन रहे हैं ,तो कई तरह की अन्य योजनाओं पर भी काम चल रहा है। NH का दफ्तर भी यहां बना दिया गया है। ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। आज यहाँ पड़ी मशीनरी जंग खा रही है, और ये भवन बंदरों और आवारा पशुओं का अड्डा बना हुआ है। अब इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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