शिमला: हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) में सेवारत कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को अनुकंपा आधार पर नौकरी देने में हो रही भारी देरी पर राज्य कर्मचारी महासंघ ने कड़ा रुख अपनाया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर, महासचिव उमेश कुमार, उपाध्यक्ष सुशील कुमार और प्रेस सचिव पंकज शर्मा ने इस लेतलतीफी को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अमानवीय करार देते हुए निगम प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

महासंघ का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति का मूल उद्देश्य ही संकट की घड़ी में शोकाकुल परिवार को तत्काल आर्थिक सहारा देना होता है, लेकिन एचआरटीसी में स्थिति इसके ठीक विपरीत है। कई मामले ऐसे हैं जहां दो वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आवेदनों की स्क्रीनिंग तक नहीं की गई है, जिसके कारण पीड़ित परिवार हताशा में हैं।
कर्मचारी नेताओं ने बताया कि प्रदेश सरकार ने इसी साल अक्टूबर माह में एक नई नीति लागू करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि 31 दिसंबर तक सभी लंबित अनुकंपा नियुक्ति मामलों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इसके बावजूद, एचआरटीसी प्रबंधन ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। महासंघ ने इसे सीधे तौर पर सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना बताया है। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार समयबद्ध निस्तारण की बात कर रही है, वहीं निगम के अधिकारी फाइलों को दबाकर बैठे हैं।
प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर और अन्य पदाधिकारियों ने प्रबंधन से दो टूक मांग की है कि निगम में लंबित सभी अनुकंपा नियुक्ति मामलों की तत्काल स्क्रीनिंग की जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित 31 दिसंबर की समय-सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए और वर्षों से इंतजार कर रहे परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति प्रदान की जाए। साथ ही, महासंघ ने इस अनावश्यक देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी वकालत की है, ताकि भविष्य में पीड़ित परिवारों को अपने हक के लिए दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें।