नाहन : प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक हब कालाअंब इन दिनों अवैध खनन की वजह से गहरे संकट में है। क्षेत्र में अनियंत्रित तरीके से हो रहे खनन कार्यों ने न केवल ऐतिहासिक मारकंडा नदी को प्रभावित किया है, बल्कि क्षेत्रीय आधारभूत ढांचे और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
करीब 400 से अधिक औद्योगिक इकाइयों वाला यह इलाका मारकंडा नदी के किनारे बसा हुआ है, जिसे स्थानीय जीवनरेखा माना जाता है। लेकिन अब, जेसीबी, पोकलेन और टिप्परों के जरिये हो रहे लगातार खनन ने नदी के प्राकृतिक प्रवाह और सुरक्षा को गंभीर रूप से बाधित कर दिया है।

स्थानीय निवासियों ने इस विषय पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में उन्होंने नदी के किनारे और उससे लगे इलाकों में हो रहे अवैध खनन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने खुद मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और मीडिया को अवैध खनन से जुड़ी वीडियो क्लिपिंग भी साझा की।
पुल की नींव खतरे में
मोगिनंद से नागल-सुकेती तक बनी नई सड़क पर करोड़ों की लागत से बनाए गए पुल की स्थिति भी अब खतरनाक हो गई है। अवैध खनन के चलते पुल के पायों के नीचे से 10 से 40 फुट तक मिट्टी और पत्थर हटा दिए गए हैं, जिससे इसकी नींव कमजोर हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही हाल रहा तो पुल कभी भी ढह सकता है।
इसके अलावा, नदी किनारे बनाई गई सीवरेज लाइन, पंप हाउस, बिजली के खंभे और सिंचाई परियोजनाओं की संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जहां पहले पाइप नदी के किनारे थे, अब वे नदी के भीतर बह रहे हैं। नदी का जलस्तर नीचे चला गया है और कभी स्वच्छ बहने वाली मारकंडा अब प्रदूषित जलधारा में बदल गई है।
फॉसिल पार्क भी संकट में
न केवल नदी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व का फॉसिल पार्क भी अवैध खनन की चपेट में आ गया है। इसके समीप करीब 150 बीघा भूमि पर अवैध रूप से खनन चल रहा है। अनुमान है कि अब तक 10,000 से अधिक टिप्परों के जरिए मिट्टी और पत्थर निकाल कर हरियाणा भेजे जा चुके हैं। यह पूरा खनन कार्य बिना किसी माइनिंग लीज और सरकारी अनुमति के हो रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में प्रशासन, पर्यावरण विभाग, खनन विभाग और पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जानबूझ कर आंखें मूंदी जा रही हैं, जिससे अवैध खनन करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
जनता की चेतावनी
स्थानीय लोगों ने चेताया है कि यदि इस पर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र एक बड़े प्राकृतिक और सामाजिक संकट का सामना करेगा। ज्ञापन के साथ उन्होंने वीडियो और फोटो साक्ष्य भी सौंपे हैं, जो क्षेत्र में हो रहे पर्यावरणीय विनाश को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।