नाहन: अक्षय तृतीया पर जैन समाज ने पिलाया गन्ने का रस, बताया पर्व का आध्यात्मिक महत्व

नाहन: अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आज नाहन के मुख्य बाजार में जैन समाज द्वारा आमजन को नि:शुल्क गन्ने का रस पिलाया गया। इस सेवा के माध्यम से समाज ने लोगों को इस पावन तिथि के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराया।

जैन समाज के सदस्यों ने बताया कि अक्षय तृतीया को जैन धर्म में इक्षु तृतीया के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने इसी दिन लगभग एक वर्ष की तपस्या के पश्चात राजा श्रेयांस से गन्ने का रस (इक्षु रस) ग्रहण कर प्रथम आहार प्राप्त किया था। यह प्रसंग दान की महत्ता को दर्शाता है और इसी कारण जैन धर्मावलंबी इस दिन आहार दान, ज्ञान दान, तथा औषधि दान जैसे पुण्य कार्य करते हैं।

जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान आदिनाथ राज-पाट छोड़ कर वन में तपस्या करने गए थे। मौनव्रती होने के कारण उन्हें लंबे समय तक किसी ने भोजन नहीं दिया। अंततः हस्तिनापुर के राजा श्रेयांस ने उन्हें गन्ने का रस अर्पित किया, जो जैन इतिहास में प्रथम आहार दान के रूप में दर्ज है।

इस अवसर पर शहरवासियों ने जैन समाज की इस पहल की सराहना की और पर्व के ऐतिहासिक संदर्भ को जानकर प्रसन्नता व्यक्त की।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।