हिमाचल में अब जमाबंदी उर्दू की जगह हिंदी में, खसरा नंबर को मिलेगी यूनिक आईडी

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड को आधुनिक और अधिक जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से जमाबंदी (अधिकार अभिलेख) का नया प्रारूप (फॉर्मेट) अधिसूचित कर दिया है। इस संबंध में अधिसूचना शुक्रवार को प्रदेश के राजपत्र (ई-गजट) में प्रकाशित की गई है।

इस नए प्रारूप के तहत अब जमाबंदी में उर्दू के स्थान पर हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। सरकार का कहना है कि आम लोग उर्दू के पारंपरिक शब्दों को समझ नहीं पाते थे, जिससे उन्हें कठिनाई होती थी। इसलिए अब जमाबंदी को सरल और अधिक सुगम भाषा में तैयार किया जाएगा ताकि सभी वर्गों को इसकी जानकारी सहज रूप से मिल सके।

नए प्रारूप में कई अहम बदलाव किए गए हैं। अब हर खसरा नंबर की एक यूनिक आईडी होगी, जिससे भूमि की पहचान और रिकॉर्ड की निगरानी अधिक सटीक हो सकेगी। इसके अलावा, जमाबंदी में पुराने और नए खसरा नंबर दोनों अंकित किए जाएंगे, जिससे किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।

सरकार ने हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 169 के तहत प्रारूप को अधिसूचित करते हुए पहले 31 जनवरी 2025 को प्रारूप प्रकाशित कर आम जनता से आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए थे। प्राप्त आपत्तियों और सुझावों पर गंभीरता से विचार करने के बाद वित्त आयुक्त (राजस्व) द्वारा अंतिम निर्णय लेते हुए यह नया प्रारूप अधिसूचित कर दिया गया है।

अब राज्य के सभी लोगों को जमाबंदी की प्रति इसी नए प्रारूप में उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुधार न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी भूमि संबंधी जानकारी अधिक पारदर्शी और सुगम बना देगा।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।