कौशल विकास योजना भत्ते की आदयगी सीधे संस्थानों के खाते में हो

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नाहन : आज जिला सिरमौर के कौशल विकास भत्ता योजना के अनतर्गत निजी शिक्षण संस्थानों के संचालको ने जिला रोजगार अधिकारी जगदीश कुमार के माध्यम से जिलाधीश महोदय को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि प्रशिक्षण का पैसा सीधे संस्थानों के खातों में स्थानांतरित होना चाहिए।

निजी शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने कहा विभाग द्वारा प्रशिक्षर्थी को उनके बैंक खातें में कौशल विकास भत्ता दिया जा रहा है जो कि कई बार समय पर नहीं आता तथा प्रशिक्षार्थी के खाते में पैसा आने के बाद भी प्रशिक्षर्थी द्वारा संस्थान को नही दिया जाता, और कई बार पैसा आनें के बाद प्रशिक्षार्थी प्रशिक्षण छोड़कर चला जाता है जिस से संस्थानों को बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है, जिसके कारण संस्थानों को खर्च चलाना कठिन हो गया है।

EMPLOYMENT OFFICER SIRMOUR

साथ जी उन्होंने कहा कि यह स्कीम वर्ष 2013 में लागू की गयी थी तब से आज तक इस योजना के अंतर्गत 1000 रूपये ही प्रति माह भत्ता मिलता है। जबकि 11 साल में मंहगाई कहीं से कहीं पहुंच गयी है।अतः कौशल विकास भत्ता योजना के तहत भत्ता राशि भी कम से कम 2000रू प्रति माह कि जायें व भत्ते की आदयगी संस्थानों के खाते में की जायें।

उन्होंने बताया कि सिरमौर जिला में सीटों की संख्या एक संस्थान के लिए अधिक से अधिक आई0टी0 के लिए 120 व नोन आई0 टी0 ट्रेड के लिए 80 निर्धारित कि गई है जबकि हिमाचल के अन्य जिलों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अतः सरकार द्वारा कौशल विकास भत्ता योजना में जारी दिशार्निदेशानुसार ही सीटों का आवंटन किया जायें।
इस अवसर पर नोन आई0टी0 ट्रेड कि अध्यक्ष ने कहा हमारे ट्रेड में प्रशिक्षण जनवरी से दिसम्बर चलाया जा रहा है जिससे प्रशिक्षार्थियों कि संख्या बहुत कम रहती है इसे भी आई0 टी0 की तर्ज पर जनवरी से दिस्मबर व जुलाई से जून चलाया जाना चाहिए।

साथ ही उन्होंने कहा कि कौशल विकास भत्ता योजना के तहत प्रदान किये गए प्रमाण पत्रों को सरकारी व निजी नौकरी प्राप्त करनें के लिए मान्यता दी जानी चाहिए। यहाँ तक कि नोन आई0टी0 संस्थान में एक ट्रेनर के लियें भी आई0टी0 आई0 का प्रमाण पत्र आवश्यक है अतः कौशल विकास भत्ता योजना के तहत जारी प्रमाण पत्रों को भी सभी प्रकार की नौकरिया प्राप्त करने के लिए मान्यता प्रदान करवाई जायें।

इस अवसर पर जिला सिरमौर के सभी निजी शिक्षण संस्थानों के संचालक उपस्तिथ थे।

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