शिमला: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के अंतर्गत रोहड़ू स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) शिमला ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाते हुए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटारी), जोन-1 द्वारा इसे वर्ष 2025 के लिए हिमाचल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केंद्र के पुरस्कार से नवाजा गया है।

यह प्रतिष्ठित सम्मान शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST), जम्मू में आयोजित केवीके की वार्षिक जोनल कार्यशाला के दौरान प्रदान किया गया। इस कार्यशाला में पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कृषि विज्ञान केंद्रों ने हिस्सा लिया था, जिसमें हिमाचल के 13 केंद्रों में से शिमला केवीके ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
समारोह में मुख्य अतिथि और SKUAST जम्मू के कुलपति प्रो. बी.एन. त्रिपाठी ने यह पुरस्कार प्रदान किया। विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. इंदर देव और केवीके शिमला की वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. उषा शर्मा ने आईसीएआर-एटारी, जोन-1 के निदेशक डॉ. परवेंद्र श्योराण की गरिमामयी उपस्थिति में यह सम्मान प्राप्त किया। केवीके शिमला को यह सम्मान मुख्य रूप से फसल विविधीकरण, टिकाऊ सेब उत्पादन और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप शिमला मिर्च व मटर के सफल उत्पादन मॉडलों को विकसित करने के लिए दिया गया है।
केंद्र ने किसानों की रसायनों पर निर्भरता कम करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय कार्य किया है। साथ ही, ‘स्टोन फ्रूट ग्रोअर्स एसोसिएशन’ के साथ मिलकर पहले ‘राष्ट्रीय स्टोन फ्रूट कॉन्क्लेव’ का आयोजन कर बागवानों को नई दिशा दिखाई है।
कार्यशाला के समापन अवसर पर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई, जब केवीके शिमला द्वारा तैयार ‘प्राकृतिक खेती के अंतर्गत सेब की वर्षभर खेती’ नामक एक विस्तृत मार्गदर्शिका का विमोचन किया गया। यह पुस्तिका पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों और प्रसार कर्मियों के लिए एक अत्यंत उपयोगी संदर्भ सामग्री साबित होगी।
इस गौरवशाली उपलब्धि पर नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने केवीके के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान किसानों के कल्याण और नवाचार के प्रति केंद्र की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डॉ. इंदर देव और डॉ. परवेंद्र श्योराण ने भी टीम को भविष्य में नए मानक स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया।