शिमला: हिमालयन एडवेंचर स्पोर्ट्स एंड टूरिज़्म प्रमोशन एसोसिएशन (HASTPA) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रेस में 120 किलोमीटर के दो चरणों में 3,000 मीटर की ऊँचाई चढ़ाई गई। साहस, सहनशक्ति और भाईचारे की अद्भुत मिसाल बनी इस MTB शिमला 2025 की 12वीं रेस में जहां ऑकलैंड हाउस स्कूल फॉर बॉयज़ के छात्रों ने न सिर्फ कठिन ट्रेल्स पर साइकिल दौड़ाई, बल्कि एक सशक्त संदेश भी दिया। इस चुनौतीपूर्ण रेस में कक्षा 11 के छात्र अधिरथ सिंह वालिया ने अंडर-19 कैटेगरी में कांस्य पदक जीतकर सभी को गर्वित किया।

अधिरथ इससे पहले रजत पदक जीत चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर चुके हैं। उन्होंने इस सफलता को तुर्की के प्रोफेशनल साइक्लिस्ट यूनुस एमरे यिल्माज़ से प्रेरित बताया और कहा कि “एक वैश्विक खिलाड़ी की अनुशासित सोच से सीखना हमें स्थानीय स्तर पर भी उत्कृष्टता की ओर ले जाता है।”
कक्षा 8 के अयम कुमार और कक्षा 9 के शाश्वत ठाकुर ने अंडर-16 वर्ग में फिनिशर मेडल्स जीतकर अपनी पहली भागीदारी को शानदार तरीके से चिह्नित किया। वहीं कक्षा 9 के अग्नेय ग्रोवर, जो दुर्घटना के कारण रेस पूरी नहीं कर सके, ने टीम भावना को सबसे ऊपर रखते हुए कहा, “मैं रेस पूरी नहीं कर सका, लेकिन खुशी है कि मेरे दोस्तों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। असली जीत एक-दूसरे का साथ है और अपनी सीमाओं को पार करना।”
रेस से पहले 16 मई को 15 किमी की हेरिटेज राइड भी आयोजित की गई, जिसने शिमला की ऐतिहासिक इमारतों और विरासत को रेखांकित किया। दोनों चरणों की रेस में साइक्लिस्टों को कुफरी–चैल वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी और पॉटर्स हिल–ग्लेन रिज़र्व फॉरेस्ट जैसे कठिन लेकिन बेहद खूबसूरत ट्रेल्स से गुजरना पड़ा, जहां पहाड़ी रास्तों, घास के मैदानों और जंगलों ने असली चुनौती पेश की।
प्रधानाचार्य रूबेन टी. जॉन ने छात्रों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा, “यह सिर्फ साइक्लिंग नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, अनुशासन और आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति का उत्सव है। हमारे छात्रों ने यह दिखाया कि पहाड़ी जीवन न केवल मजबूत शरीर, बल्कि मजबूत सोच भी तैयार करता है। हमें उन पर गर्व है।”
इन छात्रों का मानना है कि साइक्लिंग केवल खेल नहीं, एक जीवनशैली है, जो स्वास्थ्य, पर्यावरण, ट्रैफिक समाधान और मानसिक शांति के लिए ज़रूरी है। उनके लिए MTB शिमला जैसी प्रतियोगिताएं सिर्फ चुनौती नहीं, एक उत्सव हैं ।