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शिमला के नरेश कुमार को बेहतरीन परीक्षा परिणाम के लिए मिलेगा राज्य शिक्षक पुरस्कार

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सोलन: शिमला के राजभवन में वीरवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के 27 शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इसमें सोलन जिला के गल्र्ज सीनियर सेकंडरी स्कूल सुबाथू के भाषा अध्यापक नरेश कुमार भी शामिल हैं। नरेश कुमार की जन्मभूमिक तो शिमला जिला है, लेकिन उनकी कर्मभूमि सोलन रही है। विद्या उपासक, जेबीटी और फिर भाषा अध्यापक। भाषा अध्यापक बनने के बाद आज तक उनका परीक्षा परिणाम 100 फीसदी रहा है, जो अन्य अध्यापकों के लिए भी मिसाल हैं।

जन्म व शिक्षा

teacher naresh kumar

नरेश कुमार का जन्म शिमला जिला की कोटखाई तहसील के देवरी-खनेटी गांव में 2 फरवरी 1976 को हुआ। नरेश कुमार ने हाई स्कूल देवरी खनेटी  से 1992 में मैट्रिक पास की। इसके बाद सीनियर सेकंडरी स्कूल कोटखाई में प्रवेश लिया, जहां से उन्होंने वर्ष 1994 में जमा दो की परीक्षा उत्र्तीण की। शिमला के संजौली कॉलेज से वर्ष 1998 में स्नातक की डिग्री हासिल की और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एम.ए (हिन्दी) में प्रवेश लिया। 

सोलन जिला में दी सेवाएं

नरेश कुमार को 2002 में सरकारी सेवा में आए। पहली पोस्टिंग सोलन जिला के प्राथमिक स्कूल कून में विद्या उपासक के पद पर हुई। 2007 में जेबीटी अध्यापक बने। इसके बाद 30 जनवरी 2015 को वह भाषाध्यापक पद पर पदोन्नत हुए। इसके बाद उन्होंने पंशौड़ा स्कूल, सीसे स्कूल गुग्गाघाट, सीसे स्कूल गल्र्ज सुबाथू,सीसेस्कूल भोजआंजी सोलन और वर्तमान में एक वर्ष से गल्र्ज सीसे स्कूल सुबाथू में सेवारत हैं। 

ये रही अचीवमेंट 

नरेश कुमार जब से भाषा अध्यापक बने उनका हर वर्ष बोर्ड परीक्षा परिणाम 100 फीसदी रिजल्ट रहा है। इस वर्ष उनकी कक्षा में 24 छात्र-छात्राएं थी,जिसमें 23 विद्यार्थी पहली श्रेणी में पास हुए, जबकि 17 बच्चों की डिक्टिंशन आई है। इसके अलावा उनके स्टूडेंट्स बोर्ड परीक्षाओं में मैरिट में अपना स्थान बनाने हैं, जिसके कारण नेशनल मीन कम मैरिट स्कॉलरशिप, अंबेडकर स्कॉलरशिप हासिल कर रहे हैं।  इसके अलावा नरेश कुमार सह-शैक्षणिक गतिविधियों को भी स्कूल में बढ़ावा देते हैं जिलास्तर व राज्यस्तर पर उनके छात्र प्रथम स्थान हासिल कर चुके हैं।

वह खुद बॉलीवॉल के खिलाड़ी हैं और प्राथमिक स्कूल के समय से वह स्कूलों में कबड्डी,एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के लिए न सिर्फ बच्चों को तैयार करते हैं। उनके बच्चे राज्यस्तर पर जिला सोलन का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। एस.सी.ई.आर.टी. सोलन में 8वीं व 10वीं कक्षा के लिए पुस्तक में नशे पर जो चैप्टर तैयार किए गए, उनमें भी उनका योगदान रहा है। वह इस उपलब्धि का श्रेय भगवान, जिन बच्चों को पढ़ाया, सहयोगी अध्यापक, प्रिंसिपल व परिवार को देते हैं।

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