सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में मृदा विज्ञान और जल प्रबंधन विभाग की उन्नत मृदा और पत्ती विश्लेषण प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एन.ए.बी.एल.) मान्यता मिली है। यह प्रतिष्ठित मान्यता आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 17025:2017 मानक के अनुसार प्रदान की गई, जो परीक्षण और कैलीब्रेशन प्रयोगशालाओं की क्षमता के लिए सामान्य आवश्यकताओं के साथ प्रयोगशाला के अनुपालन की पुष्टि करती है।
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना परियोजना के तहत स्थापित, यह प्रयोगशाला मिट्टी के माइक्रोनूट्रीअन्ट और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के परीक्षण सहित कम्पोस्ट और व्यापक पत्ती विश्लेषण में माहिर है। यह फर्टलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर (एफसीओ) विनिर्देशों के अनुसार खाद और कम्पोस्ट विश्लेषण भी करता है। इस प्रयोगशाला ने पहले ही हिमाचल के किसानों सहित कई राज्यों की संस्थाओं के सैम्पलों का मृदा, काम्पोस्ट और पत्ती विश्लेषण किया है।
मृदा विज्ञान और जल प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष एवं प्रयोगशाला के गुणवत्ता प्रबंधक, डॉ. उदय शर्मा ने प्रमाणन प्राप्त करने में शामिल कठोर प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। लैब का भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा गहन मूल्यांकन किया गया, जिसमें 11 मापदंडों पर व्यापक मिट्टी परीक्षण के लिए मान्यता देने से पहले अज्ञात नमूनों के विश्लेषण के माध्यम से इसकी विश्वसनीयता का परीक्षण करना शामिल था।
कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए मृदा विज्ञान विभाग की टीम को बधाई दी और कहा कि मान्यता से प्रयोगशाला की विश्वसनीयता बढ़ेगी और इसके विश्लेषण में किसानों और संस्थानों का विश्वास और मजबूत होगा। अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने भी टीम के प्रयासों की सराहना की और आगे बढ़ते हुए प्रयोगशाला द्वारा निर्धारित उच्च गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। 2021 में पूरी तरह से चालू होने के बाद से, प्रयोगशाला ने 6,000 से अधिक नमूनों का विश्लेषण किया है, जिसने विश्वविद्यालय के राजस्व और मृदा विज्ञान अनुसंधान में अग्रणी के रूप में इसकी प्रतिष्ठा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।