सोलन: विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने कार्बोनेटेड मसालेदार रेडी-टू-सर्व (आरटीएस) सेब पेय से संबंधित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एक निजी कृषि व्यवसाय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। एक परियोजना के तहत खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित तकनीक को ऊना स्थित बरिता एग्रीबिजनेस प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस दिया जाएगा। समझौते पर आधिकारिक तौर पर नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और बरिता एग्रीबिजनेस के मालिक ब्रजेश शर्मा ने विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में हस्ताक्षर किए।
डॉ. चौहान ने इस नई तकनीक को बाजार में लाने में दिलचस्पी दिखाने के लिए बरिता एग्रीबिजनेस को बधाई दी। उन्होंने उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक पेय विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी विकसित करने में खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों की भी सराहना की। विश्वविद्यालय के 1997 बैच के पूर्व छात्र ब्रजेश शर्मा ने विश्वविद्यालय के साथ काम करने के लिए उत्साह व्यक्त किया और जल्द ही इस तकनीक पर आधारित उत्पाद बाजार में लॉन्च करने के अपने लक्ष्य पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि क्योंकि लो ग्रेड सेब को बाजार में कम मूल्य मिलता है किसानों को कम कीमत पर इसे बेचना पड़ता है, लेकिन इससे सेब आधारित कार्बोनेटेड बेवरेजेस तैयार किए जा सकते हैं, जो बाजार में उच्च बाजार मूल्य रखते हैं। इस किसानों को अपने उत्पाद के अच्छे रिटर्न तो मिलते ही हैं, साथ-साथ उपभोक्ताओं विशेषकर युवाओं के लिए बाजार में अतिरिक्त स्वस्थ उत्पाद का विकल्प भी उपलब्ध होता हैं।
क्या है प्रौद्योगिकी
ताजा सेब के रस का उत्पादन एक बढ़ता हुआ उद्योग है, जो मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए अधिशेष और लो ग्रैड सेब के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करता है और पोस्ट हार्विस्ट नुकसान को कम करता है और कम मूल्य की उपज से आय में वृद्धि करता है। ताजे जूस की बढ़ती मांग से छोटी और बड़े पैमाने की प्रसंस्करण इकाइयों के लिए नए अवसर पैदा होते हैं, जिससे टिकाऊ कृषि प्रथाओं में योगदान होता है।
खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एचओडी डॉ. राकेश शर्मा के मार्गदर्शन में डॉ. सतीश शर्मा द्वारा किए गए शोध में सेब, जिसका अक्सर आर्थिक रूप से कम मूल्यांकन किया जाता है, के उपयोग के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित किया गया। कार्बोनेटेड सेब पेय पदार्थों के तीन वैरीअंट विकसित किए गए: कार्बोनेटेड सेब जूस, कार्बोनेटेड सेब आर. टी. एस. और मसालेदार कार्बोनेटेड सेब आर. टी. एस.। जूस कंसन्ट्रेट से बने पारंपरिक कार्बोनेटेड पेय के विपरीत, जो कंसन्ट्रेट प्रक्रिया के दौरान पोषण मूल्य खो देते हैं, यह विधि जूस के पोषक तत्वों को संरक्षित करती है और एक स्वस्थ विकल्प प्रदान करती है। यह उत्पाद न्यूनतम रूप से संसाधित ताजे सेब के रस (पुनर्निर्मित रस से नहीं) से प्राप्त होते हैं और परिरक्षकों से मुक्त होते हैं। कार्बोनेशन प्रक्रिया हल्का संरक्षण भी प्रदान करती है, जिससे ये पेय पदार्थ कम से कम सात महीने तक रेफ्रिजरेशन परिस्थितियों में स्टोर किए जा सकते हैं।
इस स्थायी दृष्टिकोण का उद्देश्य उपभोक्ता को सिंथेटिक, पोषण की दृष्टि से खराब पेय पदार्थों से हटाकर शुद्ध जूस-आधारित कार्बोनेटेड पेय पदार्थों की ओर स्थानांतरित करना है, जो एक विशिष्ट स्वाद, सुगंध और पोषण मूल्य प्रदान करते हैं। यह सेब उद्योग से अपशिष्ट का उपयोग करने, किसानों के लिए एक नई आय के स्रोत बनाने और कृषि आय में सुधार करने में एक महत्वपूर्ण सफलता का प्रतिनिधित्व करता है।
करीब तीन साल तक चले शोध में विश्वविद्यालय के संकाय, कर्मचारियों और छात्रों सहित विभिन्न आयु समूहों के 500 से अधिक लोगों की प्रतिक्रिया शामिल रही। इस उत्पाद परीक्षण के परिणामस्वरूप एक ऐसा उत्पाद तैयार हुआ, जिसे विश्वविद्यालय परिसर में गर्मियों के महीनों के दौरान खूब सराहा गया।