सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के डॉक्टरेट स्कॉलर को ऑस्ट्रेलिया में प्रतिष्ठित वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में जाइंट पीएचडी कार्यक्रम के लिए चुना गया है। विजय वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के हॉकसबरी इंस्टीट्यूट फॉर द एनवायरनमेंट की डॉ. रेशल नोलन की देखरेख में नौणी और सिडनी में अपना पीएचडी अनुसंधान करेंगे। उनका शोध वन कार्बन स्टॉक और वनों में लगने वाली आग पर केंद्रित होगा। डॉ. रेशल हॉकसबरी में एसोसिएट प्रोफेसर और न्यू साउथ वेल्स बुशफायर एंड नेचुरल हैज़ार्डस रिसर्च सेंटर की निदेशक हैं।
मंडी जिले के मूल निवासी विजय ने नौणी से वानिकी में बीएससी की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने 2021 में आई॰सी॰ए॰आर॰ (पीजी) परीक्षा में देश में पहला रैंक हासिल हासिल किया, जिससे उन्हें आई॰सी॰ए॰आर॰-जे॰आर॰एफ॰ फेलोशिप के साथ केरल कृषि विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वर्ष 2023 में उन्होंने आई॰सी॰ए॰आर॰ (एस॰आर॰एफ॰) परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल किया और सिल्वीकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग में डॉ. डी.आर. भारद्वाज के मार्गदर्शन में पीएचडी करने के लिए नौणी में प्रवेश लिया।
यह जाइंट डॉक्टरेट कार्यक्रम नौणी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता ज्ञापन का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत दोनों संस्थानों के छात्रों को एक-दूसरे के परिसरों में अपनी डिग्री के कुछ हिस्सों को पूरा करने का अवसर देता है। विजय, डॉ. भारद्वाज के मार्गदर्शन में नौणी में कोर्स वर्क और अपने डॉक्टरेट अनुसंधान का कुछ हिस्सा जबकि डॉ. रेशल के मार्गदर्शन में हॉकसबरी इंस्टीट्यूट में भी शोध करेंगे। दोनों सलाहकार इस शोध की देखरेख के लिए सहयोग करेंगे।
विजय को बधाई देते हुए कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि इस साझेदारी का उद्देश्य छात्रों की रोजगार क्षमता, कौशल और प्रौद्योगिकी-आधारित बागवानी, वानिकी, जैव प्रौद्योगिकी और खाद्य प्रौद्योगिकी की समझ को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि यह अवसर विजय को दोनों देशों के शोधकर्ताओं के साथ काम करने का अवसर देगा, विशेष रूप से जंगल की आग के प्रभाव के महत्वपूर्ण क्षेत्र में।
विजय ने विश्वविद्यालय के कुलपति, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. के.के. रैना, वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ सीएल ठाकुर, डॉ. डी.आर. भारद्वाज, डॉ. रश्मी चौधरी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कार्यक्रम में अप्लाई करने में मदद करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह शोध अवसर वन पारिस्थितिकी प्रणालियों और कार्बन चक्रों पर जंगल की आग के प्रभावों की समझ को बढ़ाने में मदद करेगा।