नौणी विश्वविद्यालय के औषधीय एवं सुगंधित पौधों ने जीता सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार

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By Hills Post

डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के वन उत्पाद विभाग के औषधीय एवं सुगंधित पौधों के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (ए.आई.सी.आर.पी) के सोलन केंद्र को वर्ष 2024 के लिए सर्वश्रेष्ठ ए.आई.सी.आर.पी. केंद्र के आई. सी. ए. आर. पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

विश्वविद्यालय में वन उत्पाद विभाग के तहत संचालित इस केंद्र को गुजरात के आनंद में आई.सी.ए.आर के औषधीय एवं सुगंधित पौधों अनुसंधान निदेशालय में आयोजित ए.आई.सी.आर.पी की 32वीं वार्षिक समूह बैठक के दौरान इस पुरस्कार से नवाजा गया । इस बैठक में देश भर के 26 ए.आई.सी.आर.पी केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग दिया। उद्घाटन सत्र में उप महानिदेशक (बागवानी  विज्ञान) डॉ.  जय कुमार सिंह और सह महानिदेशक डॉ. सुधाकर पांडे भी उपस्थित रहे।

वन उत्पाद विभाग के प्रोफेसर एवं हेड और सोलन केंद्र के प्रमुख अन्वेषक डॉ. यशपाल शर्मा सहित डॉ. रवि भारद्वाज, डॉ. रीना  शर्मा और डॉ. सुनील मार्पा ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।  उन्होंने  फाइटोकेमेस्ट्री, फसल सुधार, फसल उत्पादन और पौध  संरक्षण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सत्रों और चर्चाओं में भाग लिया।

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समापन समारोह के दौरान, सोलन केंद्र ने देश भर के 25 अन्य ए.आई.सी.आर.पी केंद्रों को पीछे छोड़ते हुए वर्ष 2024 के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार जीता। यह पुरस्कार  महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डॉ. एस.के. मल्होत्रा द्वारा  डॉ. सुधाकर पांडे  और  आनंद में औषधीय  एवं सुगंधित पौधों के अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. मनीष दास की उपस्थिति  में प्रदान किया।

सोलन केंद्र ने फाइटोकेमिकल आकलन, निष्कर्षण विधियों के मानकीकरण और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण और उच्च ऊंचाई वाले औषधीय और सुगंधित पौधों के प्रजनन और फसल उत्पादन में अग्रणी कार्य किया है। इसमें वैलेरियाना जटामांसी,  स्वर्टिया चिरायता,  वर्जीनिया  सिलियाटा और जंगली गेंदा जैसी प्रजातियां शामिल हैं।

इस बैठक में  केंद्र के महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है हर्बल दवा में चिरायता की गुणवत्ता आर.पी.-एच.पी.एल.सी. परीक्षण विधि को  भी प्रमाणित किया गया। इस विधि को डॉ. यशपाल शर्मा,  डॉ. रीना शर्मा, डॉ. पैंसी ठाकुर और डॉ. रोहित शर्मा द्वारा विकसित  किया गया है।

विश्वविद्यालय के इस केंद्र ने जंगली गेंदा का जर्मप्लाज्म संरक्षण किया है, जो टैगेटोन के उच्च स्तर के साथ उच्च मात्रा में आवश्यक तेल पैदा करता है।  इसके अलावा, परागण प्रबंधन के माध्यम से जंगली गेंदा और ग्लोरियोसा सुपरबा (कालीहारी) में आवश्यक तेल  और बीज की पैदावार बढ़ाने की तकनीक विकसित की गई है। 

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने पूरी टीम और वन उत्पाद विभाग को उनके उत्कृष्ट कार्य और अवॉर्ड जीतने के  लिए  बधाई दी। अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सी.एल. ठाकुर ने भी केंद्र के  योगदान की सराहना की।

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