शिमला: शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद प्रदेश के हजारों नॉन-TET कार्यरत शिक्षकों के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। इस मुद्दे पर अगली रणनीति तय करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के बैनर तले रविवार को सुंदरनगर के भोजपुर में एक राज्य स्तरीय बैठक बुलाई गई है। महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने बताया कि इस महत्वपूर्ण बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और नॉन-TET शिक्षकों के भविष्य से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षक इस फैसले से चिंतित हैं।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जिन अध्यापकों की सेवा में पांच साल से अधिक का समय बचा है, उन्हें TET पास करना अनिवार्य होगा। वहीं जिनकी सेवा पांच साल से कम है, उन्हें पदोन्नति के लिए TET पास करना होगा, अन्यथा उन्हें बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त होना पड़ेगा।
नरेश ठाकुर ने कहा कि सरकार को इस आदेश के आलोक में प्रदेश के नॉन-TET शिक्षकों के लिए एक स्पष्ट और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रविवार की बैठक में JBT, TGT, C&V, पैरा टीचर और PTA अध्यापकों सहित सभी श्रेणियों के शिक्षक भाग लेंगे और भविष्य की सशक्त रणनीति तैयार करेंगे।