शिमला : प्रदेश में नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) भर्ती को लेकर लंबे समय से चली आ रही असमंजस की स्थिति अब खत्म होने की ओर बढ़ रही है। तो सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाने का मन बनाया है। जानकारी के अनुसार, 2014 से पहले एक साल का एनटीटी कोर्स कर चुके बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार अब एक साल का ब्रिज कोर्स करवाने की तैयारी कर रही है।
इस प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई, जिसमें समग्र शिक्षा विभाग ने दिल्ली सरकार की तर्ज पर ब्रिज कोर्स करवाने का सुझाव दिया। इस बैठक में यह भी तय हुआ कि यह कोर्स प्रदेश के 12 जिलों के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट केंद्रों) में आयोजित किया जाएगा।

दिल्ली सरकार से सिलेबस पर होगी चर्चा
सूत्रों की मानें तो समग्र शिक्षा विभाग की टीम जल्द ही दिल्ली सरकार से ब्रिज कोर्स और उसके सिलेबस को लेकर बातचीत करेगी। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद इस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। यदि केंद्र से अनुमति मिलती है तो प्रदेश में एनटीटी भर्ती की रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
6,000 से अधिक पदों पर अटकी भर्ती
प्रदेश में 6,297 पदों पर एनटीटी भर्ती की प्रक्रिया लंबे समय से अधर में लटकी हुई है। स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन को इस भर्ती का जिम्मा सौंपा गया है। पहले चरण में करीब 3,000 पदों के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे और इंटरव्यू भी हो चुके हैं। लगभग 20,000 से अधिक अभ्यर्थी इंटरव्यू दे चुके हैं, लेकिन डिप्लोमा की वैधता और दस्तावेज़ सत्यापन को लेकर परिणाम अब तक घोषित नहीं हो पाए।
2014 के बाद वालों को नहीं मिलेगा मौका
नियमों के अनुसार, 2014 से पहले एक साल का एनटीटी डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को ही ब्रिज कोर्स का लाभ मिलेगा। 2014 के बाद एक व दो साल का डिप्लोमा करने वाले उम्मीदवार इसमें शामिल नहीं होंगे। विभाग का मानना है कि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों से कोर्स करने वाले उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम है, ऐसे में ब्रिज कोर्स शुरू करके पात्र युवाओं को अवसर दिया जा सकता है।
फर्जी डिप्लोमा पर भी उठे सवाल
भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी डिप्लोमा पेश करने की शिकायतें भी सामने आई थीं। इसी कारण स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ने शिक्षा विभाग से यह स्पष्ट करने को कहा कि कौन से संस्थान एनसीटीई से मान्यता प्राप्त हैं। यही वजह है कि पहले चरण की भर्ती प्रक्रिया के बाद शेष पदों के विज्ञापन अब तक जारी नहीं हो पाए।
प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए शिक्षक नहीं
गौरतलब है कि हिमाचल में पूर्व सरकार के समय ही प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू कर दी गई थीं। लेकिन, इन कक्षाओं में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक अब तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। मौजूदा सरकार ने इस दिशा में भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, मगर बीच में ही सत्यापन और डिप्लोमा की वैधता को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
अभ्यर्थियों को मिलेगा नया मौका
यदि राज्य सरकार और केंद्र सरकार से ब्रिज कोर्स को हरी झंडी मिल जाती है, तो हजारों बेरोजगार अभ्यर्थियों को फिर से पात्रता का अवसर मिलेगा। इससे लंबित भर्ती प्रक्रिया को भी गति मिलेगी और प्रदेश में प्री-प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी।