शिमला: हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल होने के बाद भी कर्मचारियों के एनपीएस खातों में फंसी करोड़ों रुपये की राशि को लेकर कानूनी पेंच फंसा हुआ है। इस नीतिगत अस्पष्टता और कर्मचारियों की जमा पूंजी को लेकर बनी दुविधा के समाधान के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने मोर्चा खोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल के माध्यम से एक विस्तृत ज्ञापन भेजा है। महासंघ ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पीएफआरडीए एक्ट में जरूरी बदलाव कर राज्यों और कर्मचारियों को राहत दी जाए।

महासंघ ने अपने ज्ञापन में प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) एक्ट, 2013 में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे ओपीएस में लौटे कर्मचारियों के एनपीएस कॉर्पस (जमा राशि) का हस्तांतरण, समायोजन या ‘स्पेशल एग्जिट’ किया जा सके। कानून में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण स्थिति यह है कि न तो कर्मचारी अपनी वर्षों की वैधानिक जमा राशि के भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं और न ही राज्य सरकार अपने पेंशन दायित्वों के साथ इस राशि का समुचित समायोजन कर पा रही है।
प्रेस नोट जारी करते हुए महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि एनपीएस में जमा राशि कर्मचारियों की वर्षों की कड़ी मेहनत की कमाई है। ओपीएस बहाली के बाद इस राशि का अनिश्चित स्थिति में बने रहना नैसर्गिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि जिन राज्यों ने ओपीएस लागू की है, वहां केंद्र स्तर पर एक समान नीति के अभाव में कर्मचारियों के बीच भ्रम और असंतोष लगातार बढ़ रहा है।
महासंघ ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि पीएफआरडीए एक्ट-2013 में आवश्यक संशोधन या स्पष्टीकरण लाकर ओपीएस अपनाने वाले कर्मचारियों के लिए एनपीएस राशि के कानूनी समाधान का स्पष्ट मार्ग प्रशस्त किया जाए। साथ ही मांग की गई है कि जब तक कोई स्थायी वैधानिक समाधान नहीं निकलता, तब तक कर्मचारियों की जमा राशि को पूर्णतः सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार तुरंत अंतरिम दिशा-निर्देश जारी करे। प्रदेशाध्यक्ष ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्र सरकार इस संवेदनशील विषय पर सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हुए जल्द ही न्यायसंगत निर्णय लेगी।