सिरमौर के आउटसोर्स वर्करज स्थाई नीति की मांग को लेकर 5 अगस्त को मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे

नाहन : हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स वर्कर्स यूनियन संबंधित सिटू जिला सिरमौर वर्कर्स की एक महत्वपूर्ण बैठक नाहन में आयोजित हुई। इस बैठक में मुख्य रूप से जिला सीटू महासचिव आशीष कुमार उपस्थित हुए। बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की गई और कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए साथ ही साथ एक नई कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। जिसमे सर्व सम्मति से यशपाल को कार्यकारिणी का अध्यक्ष चुना गया। इसके साथ रिजवान को महासचिव भूपिंदर को उपाध्यक्ष विक्रम को सचिव अजय चौहान को कोषाध्यक्ष और राम भक्त, हिरदा राम, कुलदीप सिंह, इत्यादि को सदस्य चुन गया।

जिला कार्यकारिणी ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सरकार से मांग की है कि हमारे लिए एक स्थाई नीति बनाई जाए। इसके साथ ही जो मजदूरों के 44 श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाए जैसे ईपीएफ, ईएसआईसी, ओवर टाइम, ग्रेच्युटी, मिनिमम वेज, सुरक्षा उपकरण इत्यादि इस सभी सुविधाएँ जिनसे सरकार ने मजदूरों को वंचित रखा हुआ है इन सुविधाओं को सरकार सख्ती से लागू करे।

outsouce employee

आज की महत्वपूर्ण बैठक में 8 विभागो के 22 वर्कर्स इक्ट्ठा हुए और विस्तार से चर्चा की। इस समय प्रदेश में 40 हजार से ज्यादा और जिला सिरमौर में लगभग 1800 आउटसोर्स वर्कर विभिन्न सरकारी विभागों में 13–14 वर्षो से अपनी सेवाए दे रहे है परंतु सत्ता में काबिज कोई भी सरकार आज तक आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए किसी प्रकार की स्थाई नीति नही बना पाई। चुनाव के समय कसमें खाकर 6 महीने के अन्दर अन्दर स्थाई नीति बनाने के बड़े बड़े वादे तो किए थे जो सब के सब चुनावी जुमले साबित हुए।

इस अवर पर कार्यकारिणी के सदस्यों ने कहा कि सरकार किसी भी वर्कर्स को टेंडर खत्म होने का हवाला देकर या टेंडर रिन्यूअल न होने का हवाला देकर नौकरी से बाहर ना निकाले अन्यथा ये आउटसोर्स का मजदूर मजबूर होकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा और उग्र आंदोलन की तरफ रुख करेगा।।

सिरमौर का आउटसोर्स मजदूर 5 अगस्त को डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को एक ज्ञापन भी सौपेगा जिसमे डिप्टी कमिश्नर को जिला सिरमौर में विभिन्न विभागों में बैठे अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा वर्कर्स का शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहे है उनसे अवगत करवाया जाएगा । साथ ही साथ उनसे अनुरोध किया जाएगा कि वर्कर्स को कानूनी सुविधा मिलती है उन सभी सुविधाओं को वर्कर्स को ना देकर अधिकारी और ठेकेदार आपस में मिलकर बांटते है उसकी पूरी जांच हो।

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