नाहन की मशहूर पतंगबाजी के लिए बैरिंग वाली चरखी की कला को संजोय है राजेश

बैरिंग वाली चरखी

नाहन : नाहन में पतंगबाजी की पुरानी परंपरा और इसके साथ जुड़े शिल्प में बैरिंग वाली चरखी का विशेष स्थान है। इस कला को संजोने का कार्य राजेश द्वारा किया जा रहा है। बैरिंग वाली चरखी एक विशेष प्रकार की चरखी होती है, जो पतंग उड़ाने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें बैरिंग का उपयोग किया जाता है, जिससे पतंग की डोर को आसानी से और तेजी से नियंत्रित किया जा सकता है। इस चरखी का उपयोग शायद पूरे भारत में नाहन में ही होता है।

बैरिंग वाली चरखी का उपयोग संभवतः पूरे भारत में सिर्फ नाहन में ही होता है। नाहन की पतंगबाजी की परंपरा में यह विशेष चरखी एक अनोखा और महत्वपूर्ण तत्व है। इसकी बनावट और उपयोग की विधि नाहन की स्थानीय शिल्पकला और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।

राजेश जैसे शिल्पकार इस कला को संजोकर रख रहे हैं, जिससे गुम होती नाहन की पतंगबाजी की परंपरा जीवित है।

राजेश नाहन की पतंगबाजी की इस विशिष्ट कला को न केवल जीवित रखे हुए हैं, बल्कि इसे आगे बढ़ाने का भी कार्य कर रहे हैं। राजेश को यह कला विरासत में मिली है न केवल उनके पिता बल्कि उनके दादा भी इस कला में निपुण थे। इस चरखी का निर्माण करना एक खास कौशल की मांग करता है, और राजेश इस कला को पारंपरिक विधियों के साथ आज भी बनाए हुए हैं। उनके द्वारा बनाई गई चरखी पतंगबाजों के बीच बेहद लोकप्रिय है और यह नाहन की पतंगबाजी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

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