नाहन : क्रिकेट भारत में न केवल एक खेल है, बल्कि यह देश के हर हिस्से में लोगों को जोड़ने का माध्यम भी है। इस खेल को विकसित करने के लिए प्रशासनिक नेतृत्व और समर्पण आवश्यक होता है। किसी जिले में क्रिकेट के विकास के पीछे जिला क्रिकेट सचिव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। सिरमौर जिले में इस भूमिका को सफलतापूर्वक निभाने वाले राजेंद्र सिंह बब्बी ने क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। उनका नेतृत्व और समर्पण युवा खिलाड़ियों को मंच प्रदान करने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हुआ है।
राजेंद्र सिंह बब्बी का जन्म 4 मार्च 1964 को हुआ। उनका बचपन शिक्षा के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शिलाई से पूरी की, जहाँ उनके माता-पिता दोनों की पोस्टिंग थी। उन्होंने नाहन कॉलेज में अपनी पढ़ाई की और कॉलेज क्रिकेट टीम के कप्तान रहे।
1985 से 1996 तक राजेंद्र सिंह बब्बी ने सिरमौर क्रिकेट टीम के लिए खेला। वह टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल थे और कई बार कप्तानी की जिम्मेदारी भी निभाई। उनके नेतृत्व में टीम ने कई शानदार प्रदर्शन किए। 1989 में उन्होंने जिला क्रिकेट एसोसिएशन के महासचिव का पदभार संभाला।
उन्होंने जिले में क्रिकेट अकादमियों की स्थापना और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से नाहन, राजगढ़, सराहन, माजरा और पांवटा साहिब में क्रिकेट अकादमियाँ स्थापित की गईं, जहां पर खिलाडियों के लिए बेहरतीन कोच उपलब्ध हैं ,इतना ही नहीं अगर कहीं 30 से अधिक खिलाड़ियों की संख्या है तो वहां 2 कोच उपलब्ध हैं। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के सहयोग से इन अकादमियों का संचालन होता है। राजेंद्र सिंह बब्बी के नेतृत्व में सिरमौर से 200 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। गुरविंदर सिंह, संग्राम सिंह, सौरव रतन जैसे खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी में हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जबकि अक्षित कंवर, जपनीत सिंह जैसे खिलाड़ी राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) तक पहुँचे।
महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए भी उन्होंने विशेष प्रयास किए। महिला खिलाड़ियों के लिए जिला स्तर पर प्रतियोगिताएँ और प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए। U-16 और U-19 जैसी श्रेणियों में भी खिलाड़ियों को मंच मिला। इसके अलावा, 2003 तक हर साल राज्य स्तरीय जूनियर लेवल टूर्नामेंट का आयोजन नाहन में होते रहे । बड़े मैदानों और टर्फ विकेट के निर्माण के बाद ये टूर्नामेंट प्रदेश के अन्य बड़े मैदानों में आयोजित होने लगे। राजेंद्र सिंह बब्बी के प्रयासों से सिरमौर क्रिकेट को न केवल एक पहचान मिली, बल्कि जिले के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिला।
राजेंद्र सिंह बब्बी ने साल 2023 में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के सुपरिटेंडेंट पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अपना पूरा समय सिरमौर क्रिकेट के विकास को समर्पित कर दिया। उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद जिले में नई क्रिकेट अकादमियों और प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देकर खेल को और अधिक सक्रिय बनाया। उनके नेतृत्व और समर्पण ने सिरमौर जिले को क्रिकेट के क्षेत्र में नई पहचान दिलाई है। राजेंद्र सिंह बब्बी एक आदर्श जिला क्रिकेट सचिव के रूप में न केवल प्रशासनिक कार्य संभालते हैं, बल्कि खिलाड़ियों के मार्गदर्शन और खेल के बुनियादी ढांचे के विकास में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं।
राजेंद्र सिंह बब्बी ने सिरमौर क्रिकेट के विकास में अहम योगदान देने वाले कई लोगों का नाम लिया। उन्होंने बताया कि सिरमौर क्रिकेट के सभी पूर्व अध्यक्षों का उनका पूरा समर्थन मिला, जिसके कारण वह अपने कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दे पाए। इसके साथ ही, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के क्रिकेट के विकास में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के योगदान की भी सराहना की, खासकर सिरमौर में क्रिकेट को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका को बताया। बब्बी ने एम.पी. शर्मा, जो कि एक अनुभवी क्रिकेट कोच हैं, का भी उल्लेख किया और उनकी क्रिकेट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
क्रिकेट के अलावा, राजेंद्र सिंह बब्बी ने अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 15 वर्षों तक कर्मचारी संघ के प्रधान के रूप में सेवा की और कर्मचारी हितों के लिए निरंतर कार्य किया। 1985 में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने विभाग के कर्मचारियों के अधिकारों और समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, वह तीन साल तक राजपूत संघ के अध्यक्ष भी रहे, जहां उन्होंने समुदाय के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कीं और संघ की गतिविधियों को प्रोत्साहित किया।
राजेंद्र सिंह बब्बी ने युवा खिलाड़ियों से अपील की कि वे क्रिकेट को केवल एक खेल के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक पेशे के रूप में अपनाएं। उन्होंने युवाओं से अनुरोध किया कि वे खेल में सफलता पाने के लिए लगन, मेहनत और अनुशासन के साथ काम करें। उनका मानना है कि क्रिकेट न केवल एक मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह एक करियर भी हो सकता है, जो कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से ही संभव है। उनके अनुसार, युवा खिलाड़ियों को अपने खेल के प्रति समर्पण और जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए, ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें और क्रिकेट में उच्चतम स्तर तक पहुँच सकें।
राजेंद्र सिंह बब्बी, सिरमौर क्रिकेट के प्रमुख स्तंभ, ने अपने परिवार के साथ क्रिकेट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी शामिल हैं, जो हमेशा उनके साथ हैं और उनके क्रिकेट के प्रति समर्पण का समर्थन करते हैं। बब्बी ने सिरमौर क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, और उनके परिवार का समर्थन उन्हें इस कार्य में हमेशा प्रेरित करता रहा है।