संवाददाता

भाई की कलाई पर सजी पाइन नीडलऔर  कुशा से बनी राखी

  सोलन: हिमाचल में प्राकृतिक वन संपदा का खजाना है। इसके साथ ही यहां चीड़ यानि पाइन के जंगल में भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। हिमाचल में  चीड़ के पेड़ों की पत्तियां यानि पाइन नीडल अक्सर जमीन में बिखरी पड़ी रहती है। इसे बेकार समझी जाने वाली चीजों में से एक माना जाता है। गर्मियों के मौसम में यह पाइन नीडल हमारे जंगलो के लिए कभी अभिशाप बन जाती है, ये जंगलों में लगने वाली आग का कारण बनती है। सोलन की स्वयं सहायता समूह की हुनरमंद महिलाओँ ने अब तक बेकार समझी जाने वाली नाइन नीडल की राखियां बना दी। इससे उनकी इस बार अच्छी आमदनी हुई। इससे अब गांव में रहने वाली महिलाओं के लिए आगे बढऩे का और आर्थिक मजबूती का आधार भी बन रहा है।

 क्या कहना है महिलाओं का…..

साक्षी स्वयं सहायता समूह तोप की बेड़ निवासी डिंपल ने बताया कि रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने  पाइन नीडल से शानदार राखियां बनाई हैं। सोलन में रहने वाली कुछ बहनों ने यह राखियां विदेश में भी भेजी है। रोशनी स्वयं सहायता समूह भोजनगर की ममता ठाकुर ने बताया कि उन्होंने सोलन मालरोड पर स्टाल लगाकर पाइन नीडल व कुशा से बनी राखियां बेच रही है। दिशा संगठन सुल्तानपुर की पूजा बताती हैं कि रक्षाबंधन पर पाइन नीडल व कुशा की राखियों   डिमांड  रही है। बाजार में इन राखियों की डिमांड रही, जिससे उन्होंने अच्छी आमदनी हुई।

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 उक्त महिलाओं ने बताया कि शहरों का रुख करने के बजाए गावों में रहकर ही स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए और पाइन नीडल जैसे वेस्ट मटीरियल का सदुपयोग करें। उन्होंने शुरुआती ट्रेनिंग लेने के बाद खुद ही इस दिशा में आगे बढऩे लगी और अपनी कला को निखारने लगी। पाइननीडल व कुशा दोनों पवित्र है। इसके साथ मोतियों को भी  शामिल किया गया है। पाइन नीडल जैसे वेस्ट मटीरियल को बेस्ट बनाने की इस मुहिम में महिलाओं को आगे आना चाहिए।  इससे की गांव में रहने वाली लड़कियां आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी आजीविका कमा सकें।