नाहन: बैसाखी पर्व के पावन अवसर पर नाहन में प्रख्यात साहित्यकार डॉ. दीनदयाल वर्मा के काव्य नाटक “तपस्या” का विमोचन समारोह आयोजित किया गया। रश्मि प्रकाशन की प्रबंध निदेशक मीरा वर्मा ने इस काव्य नाटक का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर करीब आधा दर्जन कवि और साहित्यकार उपस्थित रहे, जिन्होंने इस रचना की सराहना की।
डॉ. दीनदयाल वर्मा ने बताया कि “तपस्या” उनका तीसरा काव्य नाटक है। इससे पहले उनके दो काव्य नाटक “गुरु दक्षिणा” और “प्रेम पुष्प” प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें देश भर में खूब सराहा गया। इन नाटकों का मंचन विभिन्न शहरों में किया गया है और रेडियो पर भी इनका प्रसारण हुआ है। उन्होंने गर्व के साथ साझा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने भी उनके नाटक “गुरु दक्षिणा” की प्रशंसा की थी। डॉ. वर्मा ने यह भी बताया कि “तपस्या” उनकी 12वीं प्रकाशित पुस्तक है। इससे पहले उनके कहानी संग्रह, उपन्यास और कई काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें पाठकों ने खूब पसंद किया।

इस अवसर पर डॉ. वर्मा ने हिमाचल प्रदेश सरकार से साहित्य और स्थानीय लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को अधिक से अधिक पुस्तकालय खोलने चाहिए, जहां हिमाचल के लेखकों की पुस्तकों को प्रमुखता दी जाए। उन्होंने कहा, “अक्सर देखा जाता है कि पुस्तकालयों में अन्य शहरों के लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं, जिसके कारण स्थानीय कवियों और लेखकों को उचित अवसर नहीं मिल पाते।” उन्होंने युवा पीढ़ी को साहित्य की ओर आकर्षित करने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
डॉ. वर्मा ने चिंता जताते हुए कहा कि यह सुनने में आया है कि सरकार भाषा अकादमी को बंद करने पर विचार कर रही है, जो साहित्य और संस्कृति के लिए उचित नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भाषा अकादमियों को न केवल बनाए रखने, बल्कि और अधिक अकादमियां स्थापित करने की मांग की, ताकि साहित्य और कला को बढ़ावा मिल सके।