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हिमाचल के जाने-माने बागबानी वैज्ञानिक व पूर्व वाइस चांसलर डॉ. जगमोहन का निधन

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सोलन: हिमाचल प्रदेश के जाने-माने बागबानी वैज्ञानिक व बागबानी व वानिकी विवि नौणी और कृषि विवि पालमपुर के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. जगमोहन सिंह चौहान का रविवार सुबह सोलन में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया । वे 79 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटे छोड़ गए। उनके निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।

हिमाचल प्रदेश में बागवानी, कृषि एवं वानिकी को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. जगमोहन सिंह चौहान का नाम हिमाचल में अग्रिम पंक्तियों के बागवानी विचारकों में लिया जाता है। राजगढ़ के भूईरा गांव में हुआ जन्म डॉ. जगमोहन सिंह का सिरमौर जनपद के राजगढ़ उपमंडल के  गांव भुईरा में 11 नवंबर, 1945 को हुआ। हाई स्कूल की शिक्षा राजगढ़ स्कूल की। इसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से 1966 में बीएससी की डिग्री की।

पूर्व वाइस चांसलर डॉ. जगमोहन का निधन

पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से हॉर्टिकल्चर में 1969 में एमएससी व पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से हॉर्टिकल्चर में 1974 में पीएचडी की। स्वयं बागवान होने के साथ-साथ उनका मूल मंत्र है प्राकृतिक संसाधनों का समुचित एवं तर्कसंगत उपयोग कर सतत एवं स्थाई विकास द्वारा पहाड़ी लोगों के जीवन में बदलाव लाना।

नौणी व पालमपुर यूनिवर्सिटी के वीसी रहे जगमोहन

 डॉ. जगमोहन सिंह सिरमौर के अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो प्रदेश के दोनों प्रमुख विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर भी रहे। 2 जुलाई 2004 से लेकर 5 अप्रैल 2005 तक वह यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर पालमपुर के वीसी और 6 अप्रैल 2005 से 5  अप्रैल 2008 तक डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी के वाइस चांसलर रहे । यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक एवं प्रशासकीय कार्यकाल में रहते हुए आपने प्रदेश के विकास में नौणी व पालमपुर के वैज्ञानिक योगदान को गति प्रदान की। अखरोट के संवर्धन एवं विकास के क्षेत्र में डॉ. जगमोहन का विशेष योगदान रहा।

इन पदों पर भी किया कार्य

डॉ. जगमोहन सिंह ने 1968 में रिसर्च एसोसिएट के तौर पर रीजनल फ्रूट रिसर्च स्टेशन मशोबरा में सरकारी सेवा ज्वाइन की। इसके बाद   फ्रूट रिसर्च स्टेशन कंडाघाट में एसिस्टैंट हॉर्टिकल्चरिस्ट बतौर कार्य किया। 1976 में  नौणी यूनिवर्सिटी में ज्वाइन किया। 1984 में प्रोफेसर बने तथा 1995 में  फल विज्ञान विभाग के एचओडी रहे। 1998-2001 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में प्रतिनियुक्ति पर स्टेट डायरेक्टर ऑफ हॉर्टिकल्चर के पद पर कार्य किया। इसके अलावा नौणी यूनिवर्सिटी में डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, डायरेक्टर ऑफ एक्सटैंशन एजूकेशन भी रहे।

मंच ने भी जताया शोक

सिरमौर कल्याण मंच सोलन ने भी अपने वरिष्ठ सदस्य के निधन पर शोक जताया और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई। यहां जारी बयान में मंच के प्रधान प्रदीप मंमगाई, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. एसएस परमार,एडवोकेट गगन चौहान, महासचिव यशपाल कपूर, वरिष्ठ सदस्य मियां प्रेम सिंह, बलदेव चौहान, कंवर वीरेंद्र सिंह, डॉ. डीपी शर्मा, यशपाल शर्मा, डॉ. रामगोपाल शर्मा, जोगिंद्र चौहान, गोपाल शर्मा, नरेंद्र चौहान, नरायण सिंह चौहान, बीआर शर्मा, सुरेंद्र ठाकुर, सत्यपाल ठाकुर,डॉ. एसएल वर्मा, डॉ. लोकेश ममगाईं, पदम पुंडीर, मनोज पुंडीर, अशोक चौहान, अरूण भार्दवाज, सुनील ठाकुर, दर्शन सिंह पुंडीर, केआर कश्यप, रामदयाल चौहान, उमेश कमल, कमल सिंह कमल, पीडी भारद्वाज, वरूण चौहान, अजय कंवर, नवीन निश्चल शर्मा, महेंद्र गौतम, हरिंद्र ठाकुर, संजीव अवस्थी, शमशेर सिंह, विपुल कश्यप, आरएस ठाकुर, संजय चौहान, एसपी शर्मा, सुखदर्शन ठाकुर, जयचंद शर्मा, राजेंद्र शर्मा, जय प्रकाश चौहान, एल.आर. दहिया, विनय भगनाल, सुनील ठाकुर समेत सभी सदस्यों ने उनके निधन पर शोक जताया। संयुक्त बयान में मंच के सदस्यों ने कहा कि प्रदेश ने एक बड़ा बागबानी वैज्ञानिक खोया है, जिसकी भरपाई होना नामुमकिन है।

उनका अंतिम संस्कार आज दौपहर बाद उनके पैतृक गांव राजगढ़ के भूईरा गांव में किया गया, जहां इस महान वैज्ञानिक को हजारों लोगों श्रद्धा सुमन अर्पित किए और दिवंगत पुण्यात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।