सोलन: एस.सी.ई.आर.टी. सोलन में हिंदी प्रवक्ताओं के लिए आयोजित छ: दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम संपन्न हो गया। कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता एस.सी.ई.आर.टी. सोलन की कार्यवाहक प्रिंसिपल रजनी सांख्यान ने की। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राम गोपाल शर्मा ने बताया कि इसमें बिलासपुर, शिमला, सिरमौर,सोलन तथा ऊना जिलों के 39 हिंदी प्रवक्ताओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम का ये है रहा उद्देश्य :
डा. रामगोपाल शर्मा ने बताया कि एस.सी.ई.आर.टी. सोलन समय-समय पर हिंदी तथा अन्य विषयों में सेवारत्त प्रवक्ताओं के लिए उनके व्यावसायिक क्षमता संवर्धन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाती है, जिससे कि उस विषय में नवीनतम शोध तथा जुड़ रहे आयामों का पता चल सकें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षकों के निरंतर व्यवसायिक विकास की बात करती है। शैक्षिक परिदृश्य के बदलते स्वरूपों के साथ तालमेल बैठाना आज के प्रतिस्पर्धी समय में जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इन विषयों पर हुई विशेष चर्चा और ये रहे विषय विशेषज्ञ :
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राम गोपाल शर्मा ने बताया कि छ: दिनों में क्या-क्या विषय चर्चा केलिए जाएँ इसके लिए उन्होंने पहले लगभग 50 शिक्षकों एवं विद्वानों से परामर्श लिया और फिर एक स्वरुप तैयार कर उस विषय के आधिकारिक उपलब्ध विद्वानों को स्रोत व्यक्ति के लिए चुना।
लोक साहित्य, लोक भाषा तथा लोक ज्ञान परम्परा: हिमाचल विशेष के सन्दर्भ में एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा बहुभाषिकता पर डॉ. ओम प्रकाश शर्मा ने, हिंदी साहित्य का इतिहास: नवीन आयाम -आदि काल एवं भक्तिकाल के विशेष सन्दर्भ पर डॉ. बलदेव ठाकुर, साहित्य और सृजनशीलता: विचार और प्रक्रिया, प्रकाशन और वैविध्य : वर्तमान परिदृश्य पर डॉ. अशोक गौतम, हिंदी पठन-पाठन में तकनीक/संगणक की भूमिका एवं उसके लिए सहयोगी डिजिटल संसाधन और विद्यार्थिओं में नशे की प्रवृति, उसकी रोकथाम और उपचार पर मनीष तोमर, भारतीय काव्य शास्त्र पर डॉ. कृष्ण लाल शर्मा ने, साहित्य, संस्कृति तथा भारतीय ज्ञान परम्परा: विविध आयाम एवं रचना धर्मिता में इसका समावेश पर डॉ. प्रेम लाल गौतम,
हिंदी भाषा की विविध विधाएं: काव्य एवं गद्य विशेष के सन्दर्भ पर डॉ.पान सिंह, रेडिओ; संचार का सहज और प्रभावी माध्यम: व्यावहारिक अनुभव: डॉ.बी.एस.पंवार और आर जे अनिल, सरकारी कर्मचारियों के लिए सेवा शर्तें, आचरण नियम तथा लीव रूल्स पर वेणी प्रसाद ने, भारतीय भाषा विज्ञान, व्यावहारिक हिंदी तथा हिंदी साहित्य में नारी लेखन पर डॉ. शोभा रानी, हिंदी पत्रकारिता का इतिहास एवं अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यम एवं हिंदी जनसंचार माध्यमों में रोजगार की संभावनाएं पर अरुण नैथानी ने तथा हिंदी साहित्य में विभिन्न विमर्शों पर डॉ. राजन तनवर ने प्रतिभागियों से संवाद किया।
प्रतिभागी प्रवक्ताओं ने बताया: प्रतिभागी प्रवक्ताओं में शामिल राजेश पाण्डेय, केवल शर्मा, जेरनैल सिंह, शीतल शर्मा, पूनम भारद्वाज, मोहिन्द्र पाल, जगदीश चंद, बस्ती राम शर्मा, नैन्सी, निर्मला देवी, नलिनी आदि प्रवक्ताओं ने बताया कि कोर्स डिजाईन बहुत प्रभावी तथा आज की आवश्यकता के अनुरूप था। हिंदी में डिजिटल माध्यम कैसे प्रयोग हो निरंतर उसकी जानकारी दी गई। जनसंचार के सबसे प्रिय माध्यम रेडियो की व्यवहारिक जानकारी वाला भाग बहुत ही रोमांचक रहा। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की बड़ी उपलब्धि सृजनात्मक साहित्य के प्रति प्रवृत होना रही।