सोलन : पुलिस थाना परवाणू में दर्ज एक शिकायत के आधार पर साइबर ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें ठगों ने एक व्यक्ति से फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर 18.65 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने इस मामले में राजस्थान और केरल से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अब तक 10 लाख रुपये बरामद कर लिए गए हैं।
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि 07 अक्टूबर 2024 को उनके पास एक अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को कोरियर सर्विस एजेंट बताया। कॉलर ने दावा किया कि शिकायतकर्ता के आधार कार्ड का उपयोग चीन को पार्सल भेजने में किया गया है, जिसमें अवैध ड्रग्स और संदिग्ध सामग्री पाई गई है। इस फर्जी कॉलर ने बताया कि यह पार्सल अब कस्टम विभाग की कस्टडी में है।
इसके बाद कॉलर ने शिकायतकर्ता की बात एक फर्जी सीबीआई अधिकारी से करवाई, जिसने शिकायतकर्ता को धमकाते हुए बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी हुआ है। इसके अलावा, उसने यह भी कहा कि आगे की जांच के लिए विभिन्न एजेंसियों को शामिल किया जाएगा। इस दौरान आरोपी लगातार शिकायतकर्ता को डराते रहे और कहा कि जांच में सहयोग करने के लिए उन्हें एक विशेष खाता नंबर में पैसे ट्रांसफर करने होंगे।
ठगों के दबाव और धमकी के कारण शिकायतकर्ता ने किश्तों में कुल 18,65,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। पूरे घटनाक्रम के दौरान आरोपियों ने शिकायतकर्ता को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और 07 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2024 तक डिजिटल अरेस्ट में रखा।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी जांच और बैंकिंग ट्रांजेक्शनों की विस्तृत पड़ताल की। इस जांच के दौरान पुलिस को आरोपियों के ठिकानों का पता चला। इसके बाद विशेष अभियान चलाकर राजस्थान और केरल से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को इस साइबर ठगी गिरोह के काम करने के तरीके और अन्य पीड़ितों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। आरोपियों के पास से अब तक ठगी गई राशि में से करीब 10 लाख रुपये बरामद किए जा चुके हैं और पुलिस शेष धनराशि को बरामद करने के लिए जांच जारी रखे हुए है।
परवाणू पुलिस ने जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति किसी अनजान कॉलर की बातों में न आए और यदि कोई भी संदेहास्पद कॉल प्राप्त होती है तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी सूचना दें।
पुलिस अधिकारियों ने यह भी कहा कि आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, ओटीपी और अन्य निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें और अगर कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी बनकर पैसे मांगता है तो तुरंत सतर्क हो जाएं।