सोलन: राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (HGCTA) की अर्की इकाई ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा “सरकारी कर्मचारी नियुक्ति तथा सेवा शर्तें बिल 2024 का काले बिल्ले लगाकर विरोध किया। संघ ने प्राचार्या के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी दिया है। इस विरोध प्रदर्शन में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों सहित पुस्तकालय प्रभारी भी सम्मिलित हुए।
संघ ने कहा कि अनुबंध आधार पर नियुक्त कॉलेज प्राध्यापकों ने वर्ष 2009 से लंबी न्याय की लड़ाई लड़कर माननीय उच्च न्यायालय शिमला से न्याय प्राप्त किया। माननीय न्यायालय ने अपने फैसले में कर्मचारियों को वरिष्ठता सहित सभी लाभ प्रथम नियुक्ति से देने के फैसले दिए। कुछ प्राध्यापकों को ये लाभ मिल भी चुके हैं परंतु अधिकतर प्राध्यापकों को ये लाभ दिए जाने शेष हैं ।
संघ ने कहा कि प्रदेश सरकार इसी दौरान कर्मचारी विरोधी बिल जिसको 12 दिसंबर, 2003 से लागू माना जाएगा को लेकर आई है ताकि कर्मचारियों को अनुबंध काल को मिलाकर ये लाभ नियुक्ति तिथि से न देने पड़ें तथा माननीय न्यायालय के फैसले को दरकिनार किया जा सके।
संघ ने कहा कि जब प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू की थी तो कॉलेज प्राध्यापक संघ ने इसका स्वागत किया था। संघ ने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह सरकार कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखेगी लेकिन उसके बाद प्रदेश सरकार एक के बाद एक कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। जैसे कि वर्तमान कर्मचारी विरोधी बिल ।
संघ ने कहा कि स्टडी लीव पर जाने वाले प्रवक्ताओं को केवल 40% वेतन, पीरियड आधार पर गेस्ट फैकल्टी रखना आदि फैसले छात्रों एवं प्राध्यापकों के हित में नहीं है। हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (एचजीसीटीए) ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि यदि यह बिल वापस नहीं लिया गया तो कॉलेज प्राध्यापक संघ प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठनों से मिलकर संघर्ष का रास्ता अपनाने को मजबूर होगा।