सोलन: भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में खरीद एवं विपणन योजना के तहत एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर शैलेश कुमार सिंह, सहायक निदेशक, एम.एस.एम.ई., विकास एवं सुविधा कार्यालय (डीएफओ सोलन) ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन डॉ. केके रैना ने कहा कि विवि ने हमेशा रोजगार सृजन पर जोर दिया है और सरकार की विभिन्न योजनाओं ने देश में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा दिया है।
MSME डीएफओ सोलन के प्रमुख अशोक कुमार गौतम ने एमएसएमई की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे मंत्रालय अपनी योजनाओं के माध्यम से छोटे उद्यमों की मदद कर रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में उद्यम पोर्टल के माध्यम से एक लाख से अधिक एमएसएमई पंजीकृत हैं और कार्यालय हिमाचल के सभी जिलों को सेवाएं दे रहा है। उभरते उद्यमियों और शोधकर्ताओं को क्लस्टर विकास योजना, एमएसएमई इन्क्यूबेशन और बौद्धिक संपदा सुविधा सेल के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई। विभिन्न सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों ने भी प्रतिभागियों को अपने-अपने संगठनों द्वारा व्यवसायों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सहायता के बारे में जानकारी दी।
मशरूम अनुसंधान निदेशालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार ने मशरूम से संबंधित कई उद्यमों के बारे में बात की, जिन्हें युवा एमएसएमई के सहयोग से शुरू कर सकते हैं। इसी प्रकार, खादी ग्रामोद्योग आयोग के विपणन विशेषज्ञ अंकुश शर्मा ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के बारे में बताया जिसके माध्यम से नए उद्यमों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
जिला उद्योग केंद्र सोलन से सुशील कौशिक ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा नए उद्योगों की स्थापना के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की जानकारी दी। गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जी.ई.एम.) के बिजनेस फैसिलिटेटर रवि कुमार ने जी.ई.एम., जो सरकार के लिए सबसे बड़ा ई-मार्केटप्लेस है, पर अपने उत्पादों के विपणन के बारे में बताया। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक प्रदीप कुमार ने निगम द्वारा मौजूदा एमएसएमई को विपणन, कच्चे माल और प्रौद्योगिकी में प्रदान किए जा रहे समर्थन के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला का संचालन शैलेश कुमार सिंह ने किया और इसमें सिल्विकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. डीआर भारद्वाज, बिजनेस मैनेजमेंट के एचओडी डॉ. कपिल कथूरिया, वन उत्पाद विभाग के एचओडी डॉ. यशपाल शर्मा, डॉ. अनिल हांडा, डॉ. भूपेश गुप्ता सहित विश्वविद्यालय के 150 से अधिक स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया।