सोलन: सिंगापुर से शिक्षा प्रणाली और नवाचार सीख कर लौटे सोलन जिला के अध्यापकों ने मंगलवार को डाइट सोलन में अपने-अपने अनुभवों को साझा किया। इस मौके पर डिप्टी डायरेक्टर हायर एजूकेशन डॉ. जगदीश नेगी, डिप्टी डायरेक्टर (एलीमेंट्री) व प्रिंसिपल डाइट सोलन डॉ. शिव कुमार शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। डॉ. शिव कुमार ने बताया कि इस पीपीटी प्रस्तुति के बाद सोलन जिला के पांच चयनित एलीमेंट्री अध्यापक 13 मई और पांच चयनित हायर एजूकेशन के अध्यापक 14 मई को शिमला में अपनी फीडबैक देंगे।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग के 100-100 अध्यापकों के दो समूहों को प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजा था। सिंगापुर से लौटे अध्यापकों ने बताया कि सिंगापुर जैसे विकसित देश की शिक्षा प्रणाली, उत्कृष्टता के मानकों और शिक्षा प्रणाली में अपनाए जा रहे नवाचार के तौर तरीकों पर यहां बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि वहां से लौटने के बाद उनमें नई उर्जा का संचार हुआ है और वह शिक्षा में गुणवत्ता लाने की दिशा में और अधिक लग्न व मेहनत से कार्य करेंगे।
प्रशिक्षण लेकर लौटे सोलन के सीनियर सेकंडरी स्कूल ककड़हट्टी के प्रिंसिपल अशोक शर्मा ने बताया कि सिंगापुर में कुल बजट का 20 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है। प्राथमिक स्कूलों में 1400 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सिंगापुर के नागरिकों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं। इंडिया की तरह न तो फ्री एजूकेशन है और न ही मिड डे मील की कोई व्यस्था।
सीसे स्कूल रामपुर के प्रिंसिपल कुलदीप सूर्या ने बताया कि अध्यापकों ने विदेशी शिक्षा संबंधी प्रणाली का अध्ययन किया और आने वाले दिनों में इसका प्रभाव प्रदेश में बुनियादी शिक्षा में भी देखने को मिलेगा। सूर्या ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि वह स्कूल में क्या नया कर सकते हैं। उन्होंने लर्निंग वाई डूइंग, स्कूल डवलपमेंट प्लान, स्कूल के उत्थान में टीचर, प्रिंसिपल व समुदाय की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा महज जॉब ऑरियंटिड न हो।
सीनियर सेकंडरी स्कूल पंजहैरा के प्रवक्ता (रसायन विज्ञान) जगदीश कुमार ने सुझाव दिय कि स्कूल में अनुशासन नियम और कड़े होने चाहिए।इसमें टीचर्स के लिए भी ड्रेस कोड होना चाहिए। स्कूल अचीवमेंट रजिस्ट्रर तैयार हो और स्वच्छता पर बल दिया जाना चाहिए।
राजकीय माध्यमिक पाठशाला सुज्जी के शास्त्री योगेश अत्री ने कहा कि क्लासरूम टीचिंग में एक्टिविटी पर अ््धारित टीचिंग और एक्सपेरिमेंटल टीचिंग होनी चाहिए। हर पाठका आधुनिक तकनीकी जैसे पीपीटी माध्यम से शिक्षण अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने सभ्य समाज निर्माण के लिए संस्कृति, संस्कार संस्कृत तीनों के संयोग से शिक्षा होनी चाहिए ताकि नैतिक मूल्य बचे रहें।
सीनियर सेकंडरी स्कूल बीशा के टीजीटी सुरेश कुमार ने कहा कि गेस्ट टीचिंग, आर्ट बेसड लर्निंग और नई तकनीक के साथ अध्यापक का प्रतिवर्ष 100 घंटे प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
इसके अलावा शमरोड़ सीसे स्कूल की टीजीटी (मेडिकल) दीपिका वर्मा, प्राथमिक स्कूल पुंजविला मुख्य अध्यापिका सोलन की भागीरथी, प्राथमिक स्कूल खडिय़ाना के अध्यापक शशिपाल, प्राथमिक स्कूल गद्दों के खेमराज, सीनियर सेकंडरी स्कूल घनाघुघाट के शास्त्री खेमराज ने भी अपनी पीपीटी प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश में बुनियादी शिक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए सुझाव दिए।