रामा गांव के रामकुमार: मदरबोर्ड से तकनीकी महारत तक, नाहन के टेक्नोलॉजी डॉक्टर

नाहन : कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया में जब लोग शुरुआती दौर में सिर्फ “देख” कर डरते थे, तब एक छोटे से गांव रामा से निकला एक लड़का उसके मदरबोर्ड में झांकने की जिज्ञासा रखता था। यही जिज्ञासा, आज रामकुमार को नाहन शहर ही नहीं, बल्कि सिरमौर, नारायणगढ़ और सोलन जैसे इलाकों में एक जाना-पहचाना नाम बना चुकी है।

बचपन से शुरू हुआ तकनीकी सफर
रामकुमार का जन्म नाहन से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित रामा गांव में हुआ। उनके पिता दयानन्द शर्मा एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं और माता गृहिणी। घर में पढ़ाई का वातावरण था, लेकिन रामकुमार का मन हमेशा रेडियो, टेप रिकॉर्डर और इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों को खोलने और जोड़ने में लगता था।

टेक्नोलॉजी डॉक्टर

उनकी इस रुचि को देखते हुए उनकी दसवीं के बाद उनके पिता ने उन्हें कंप्यूटर साइंस विषय के लिए दाखिला दिलवाया, दिलचस्प बात यह थी उस समय जब यह विषय सिरमौर में सिर्फ नाहन कन्या स्कूल में ही पढ़ाया जाता था। यह निर्णय उस दौर में काफी आगे की सोच माना जाता है।

NICE कंप्यूटर से लेकर JetKing तक की पढ़ाई
कंप्यूटर साइंस में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद रामकुमार ने NICE कंप्यूटर नाहन से दो साल का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डिप्लोमा किया। यह डिप्लोमा उनके लिए तकनीक को और गहराई से समझने की पहली सीढ़ी बना। लेकिन यह शुरुआत भर थी।

साल 2002 में उनके पिता ने उन्हें JetKing चंडीगढ़ भेजा, जहां उन्होंने Hardware और Networking में 18 महीने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली। यहां से लौटने के बाद रामकुमार ने नाहन में ही रिपेयरिंग का काम शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

लैपटॉप, प्रिंटर,मदरबोर्ड, कैमरा – सब में महारत
शुरुआत में लोग सिर्फ कंप्यूटर रिपेयर के लिए आते थे, लेकिन वक्त के साथ तकनीक भी बदली और रामकुमार ने खुद को भी अपडेट किया। 2012 में जब लैपटॉप रिपेयरिंग की मांग बढ़ी, तो वह दोबारा चंडीगढ़ जाकर ट्रेनिंग लेकर लौटे। धीरे-धीरे उन्होंने मदरबोर्ड, प्रिंटर, कैमरा, UPS, CCTV, नेटवर्किंग डिवाइसेज़ तक काम करना शुरू कर दिया।

आज उनका नाम सिरमौर के हर इलाके में लिया जाता है — चाहे शिलाई, पांवटा साहिब, हरिपुरधार या राजगढ़ हो। यहां तक कि नारायणगढ़ और सोलन से भी ग्राहक उनके पास पहुंचते हैं।

लगातार सीखते रहना ही सफलता की कुंजी
रामकुमार बताते हैं, “मैं आज भी हर दिन कम से कम एक घंटा सीखने में लगाता हूँ। टेक्नोलॉजी तेज़ी से बदल रही है, और अगर अपडेट नहीं हुए तो पीछे रह जाएंगे।” उनका मानना है कि सिर्फ डिग्री से नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल ज्ञान और समस्या को समझकर समाधान निकालने की क्षमता से ही कोई अच्छा टेक्नीशियन बनता है।

नई पीढ़ी को संदेश
जो युवा कंप्यूटर हार्डवेयर या इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में आना चाहते हैं, उनके लिए रामकुमार का संदेश है – “इस फील्ड में नाम कमाना है तो हर रोज़ कुछ नया सीखो, खुद प्रयोग करो और ग्राहक से ईमानदारी से व्यवहार रखो। तकनीक को समझना सीखो, केवल मशीनी भाषा नहीं।”

पारिवारिक जीवन और सहयोग
रामकुमार की पत्नी बीना एक सरकारी शिक्षिका हैं और उनका बेटा वियोम वर्तमान में पढ़ाई कर रहा है। उनके परिवार में दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है और उनका छोटा भाई बेंगलुरु में निवास करता है। रामकुमार मानते हैं कि उनकी सफलता की असली नींव उनके माता-पिता, पत्नी बीना और परिवार का निरंतर सहयोग है। उनका कहना है कि जब कोई अपने जुनून को लेकर आगे बढ़ता है, तो परिवार का विश्वास और समर्थन उसे हर मुश्किल से उबारने में मदद करता है।

रामकुमार की कहानी यह साबित करती है कि जुनून, लगन और लगातार सीखने की चाह से कोई भी व्यक्ति तकनीक की दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है। उन्होंने यह दिखाया कि चाहे गांव कितना भी दूर क्यों न हो, अगर इरादा पक्का हो तो तकनीक की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।