मंडी: हिमाचल प्रदेश में सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। राज्य कर्मचारी महासंघ ने इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका (Intervention Application) दायर करने और अक्टूबर में पूरे प्रदेश में ‘शिक्षक न्याय यात्रा’ निकालने का ऐलान किया है।
यह निर्णय रविवार को मण्डी में महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेश ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के 1 सितम्बर के उस आदेश पर चर्चा की गई, जिसमें सेवारत शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य किया गया है।
महासंघ का कहना है कि इस आदेश अनुसार इन-सर्विस अध्यापकों के लिए TET अनिवार्य होगा। जिनकी नियुक्ति RTE अधिनियम लागू होने से पहले हुई है और सेवा में 5 वर्ष से अधिक शेष है, उन्हें 2 वर्ष का समय दिया गया है कि वे TET उत्तीर्ण करें। जिनकी सेवा में 5 वर्ष से कम शेष है, वे बिना TET उत्तीर्ण किए सेवा में बने रह सकते हैं, मगर पदोन्नति के लिए TET आवश्यक होगा।

महासंघ ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश की परिस्थितियों को देखते हुए इस फैसले में रियायतें दी जाएं। महासंघ की मांग है कि जिन शिक्षकों ने वर्षों तक सेवा की है और सेवानिवृत्ति के करीब हैं, उन्हें TET से छूट दी जाए। प्रदेश में कार्यरत शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और पदोन्नति के अधिकार को सुरक्षित रखा जाए।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि शिक्षकों की समस्याओं को जनता तक पहुंचाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए अक्टूबर में मण्डी से शिक्षक न्याय यात्रा शुरू की जाएगी, जो पूरे प्रदेश से होकर गुजरेगी। उन्होंने कहा कि महासंघ शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए कानूनी और जमीनी, दोनों स्तरों पर लड़ाई लड़ेगा।
बैठक में जिला मण्डी के अध्यक्ष हेत राम शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत ठाकुर, राज्य उपाध्यक्ष सुशील शर्मा, जगदीश राणा, हेम राज धीमान, तरुण सैनी, नेक राम पंड्यार, मनोज कुमार, अंजू धीमान, खेम सिंह आदि गणमान्य पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।