चंबा: डा यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन के कीट विज्ञान विभाग द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के सहयोग से भरमौर एवं होली के सियूँर और देओल में कृषक प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। इन प्रशिक्षण शिविरों का मुख्य उद्देश्य किसानों को जैव नियंत्रण के द्वारा फसलों में कीटों एवं बीमारियों के प्रबंधन की जानकारी प्रदान करना था।
जैव नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत आयोजित इन शिविरों में विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष चंद्र वर्मा ने कृषकों के समक्ष सेब एवं अन्य फलों में लगने वाले कीटों के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया। उन्होंने इन कीटों के प्रबंधन हेतु रसायन मुक्त उपाय अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि हानिकारक रसायनों की जगह जैव-प्रबंधन में प्रयुक्त किये जाने वाले विभिन्न कीटों और सूक्ष्मजीवों का उपयोग वातावरण के संरक्षण में सहयोग करता है।
विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ विश्व गौरव सिंह चंदेल द्वारा भी कृषकों को विभिन्न उपयोगी कीटों के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के वैज्ञानिक डा केहर सिंह ठाकुर ने कृषकों से आवेदन किया कि वे कृषि की आधुनिक तकनीकों को अपनाएं ताकि उनकी कृषि आय में वृद्धि हो सके। उन्होंने कृषि में मुख्य फसलों के साथ अन्य सहयोगी फसलों और वानिकी आधारित फसलों के बारे में भी कृषकों को अवगत करवाया। इन कृषि प्रशिक्षण शिविरों में कुल 100 कृषकों ने भाग लिया जिनमें 31 महिला कृषक शामिल थी। इन सभी कृषकों को किसान मार्गदर्शिका एवं जैव नियंत्रण की सामग्री जैसे मेटाराइजियम, ट्राइकोडर्मा, घनजीवामृत इत्यादि भी वितरित की गई।