सोलन: राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद सोलन, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण जागरूकता पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करवा रही है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 8 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलेगा। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश भर के अलग-अलग विषयों के 50 प्रवक्ता भाग लेंगे।
ये रहेगा उदेश्य : राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद सोलन में पर्यावरण जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ.राम गोपाल शर्मा ने बताया कि पर्यावरण चिंतन एवं उस पर कार्य करना वैश्विक विषय है, जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण चिंतन, शिक्षण, व्यवहार तथा जागरूकता के विभिन्न नवीनतम विमर्शों एवं उसको कैसे छात्रों तथा समुदाय के मध्य ले जाना है रहेगा।
ये रहेंगे प्रमुख विषय तथा विषय विशेषज्ञ
पर्यावरण जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में विमर्श के विषयों में पर्यावरण और विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट दिल्ली के दो विशेषज्ञ नीरज कुमार और साक्षी उनियाल -जलवायु परिवर्तन के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: हिमाचल विशेष के संदर्भ में तथा सतत विकास लक्ष्य,भारत में पर्यावरण शिक्षा: विहंगम दृष्टि एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2023, ग्रीन स्कूल कार्यक्रम: हिमाचल विशेष के सम्बन्ध में तथा स्कूलों में सतत आत्मनिर्भरता पर चर्चा करेंगे।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के उच्च उन्नत्तांश क्षेत्रीय केंद्र –सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.कमल सैनी-जैव विविधता संरक्षण तथा संगड़ाह कॉलेज में सहायक प्राध्यपक डॉ.जगदीश कुमार-,प्राकृतिक आपदाओं से हिमाचल में पर्यावरण संरक्षण के खतरे तथा इस पर एक केस स्टडी और कुछ स्थायी समाधान विषय पर रूबरू होंगे।
हिमाचल प्रदेश विज्ञान ,प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद में साइंटिफिक ऑफिसर रवि शर्मा- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन , पृथकीकरण तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम -2016 पर तथा ई-कचरा प्रबंधन पर इन्फोविज सोलन के डायरेक्टर मनीष तोमर अपना संवाद करेंगे।
प्राचार्य एस.सी.ई.आर.टी.सोलन हेमंत कुमार ने कहा कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद सोलन पर्यावरण जागरूकता पर सेवारत्त प्रवक्ताओं के लिय तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवा रही है जिसका लक्ष्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा इस क्षेत्र में चल रहे नवाचारों के प्रति सचेतता पैदा कर पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों के व्यवहार में परिवर्तन करना है।