नाहन में धनिये ने लगाया तिहरा शतक, हरी मिर्च 150 पार

नाहन : शहर में इन दिनों सब्जियों की कीमतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है। कभी जो धनिया मुफ्त में मिल जाया करता था या बेहद सस्ती कीमत पर मिलता था, आज वह 300 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया है। धनिया जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां आमतौर पर ताजगी और स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती हैं, लेकिन इसकी कीमत में वृद्धि ने इसे लगभग विलासिता की वस्तु बना दिया है।

जिस हरी मिर्च को पहले लोग सब्जी के साथ मुफ्त में या मामूली दाम पर खरीदते थे, आज उसकी कीमत 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। हरी मिर्च की इतनी ऊंची कीमतों से घर की किचन में इसका इस्तेमाल भी अब सोच-समझकर किया जा रहा है।

मटर भी बाजार में लगभग गायब हो चुकी है। जहां उपलब्ध है, वहां इसकी कीमत 120 से 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। यह सब्जी ज्यादातर किचन में विभिन्न व्यंजनों में मुख्य सामग्री के रूप में प्रयोग की जाती है, इसलिए इसके दामों में वृद्धि से लोगों के बजट पर सीधा असर पड़ा है।

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फूल गोभी की कीमतें भी बढ़ते-बढ़ते 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। यह सब्जी भी रोजमर्रा की खपत में आती है, इसलिए इसका दाम बढ़ना किचन के बजट को और प्रभावित कर रहा है। टमाटर, जो हाल ही में काफी महंगा हो गया था, अब 80 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहा है। हालांकि यह कीमतें भी काफी ऊंची हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में इसकी कीमतों में आई भारी उछाल के मुकाबले यह थोड़ा स्थिर हुआ है।

बीन की कीमतें भी 60 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं, जो अन्य सब्जियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है, लेकिन फिर भी यह सामान्य कीमतों से अधिक है।

प्याज की कीमत फिलहाल स्थिर बनी हुई है। यह लगभग 70 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जो पिछले कुछ हफ्तों से कोई खास बदलाव नहीं दिखा रही है। प्याज की कीमत में स्थिरता एक राहत की बात है, क्योंकि यह एक आवश्यक खाद्य सामग्री है।

स्थानीय सब्जियों का उत्पादन इस समय बाजार में नहीं आ रहा है, जिसका असर सब्जियों के दामों पर पड़ा है। जब स्थानीय सब्जियां बाजार में आती हैं, तो इन कीमतों में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। अभी सब्जियों की आपूर्ति बाहरी स्रोतों से हो रही है, जिससे परिवहन लागत और अन्य खर्चों के कारण भी दाम बढ़ रहे हैं।

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक सब्जियों के दाम इसी तरह ऊंचे रह सकते हैं। जब तक स्थानीय स्तर पर सब्जियों की फसलें तैयार नहीं हो जातीं और बाजार में उनकी आपूर्ति नहीं बढ़ जाती, तब तक इन दामों में कोई खास गिरावट की उम्मीद नहीं है।

इस समय बाजार में मांग अधिक है, जबकि आपूर्ति कम है। इस असंतुलन के कारण सब्जियों के दामों में तेजी आई है। यह स्थिति स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए चिंताजनक है, क्योंकि दैनिक जरूरत की सब्जियां भी अब महंगी हो चुकी हैं। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में स्थानीय सब्जियों के बाजार में आने से राहत मिलेगी और दामों में कमी आएगी।

बनोग के रहने वाले अनिल ठाकुर और भीम चौहान कहना है कि सब्जी इतनी महंगी हो गयी कि घर चलाना मुश्किल हो गया है ऐसा ही चलता रहा तो बच्चों की फीस भी रसोई में लग जाएगी।