जब क्रिकेट एक अनाथ का संरक्षक बन गया: सिरमौर के पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी सौरव रत्न की कहानी

नाहन: खेल जगत में कई ऐसे नाम हैं जिनके अमूल्य योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता | जीवन की कठिनायों के बीच हिमाचल प्रदेश में सौरव रत्न के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता | सौरव का जन्म हिमाचल के रामपुर (शिमला) में वर्ष 1984 में हुआ और सौरव का बचपन नाहन में बीता।
सौरव से बातचीत में उन्होंने बताया कि आसपास के मोहल्ले और घर में शुरू से ही उन्हें क्रिकेट का माहौल मिला और उन्हें वहां से ही क्रिकेट खेलने की प्रेरणा मिली। सौरभ जब 3 साल के थे तब उनकी माता जी का देहांत हो गया था और जब वह 13 साल के थे तब उनके भाई का भी देहांत हो गया था। जब वह 14 साल के हुए तब उन्होंने अपने पिता को भी खो दिया था। इसके बाद वह इस दुनिया में अकेले रह गए पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन में आगे बढ़ते रहे.

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माँ, पापा और भाई के जाने बाद क्रिकेट ने उन्हें सिखाया कि कैसे टीम मेंबर की तरह रहना है कैसे दूसरे की कामयाबी पर खुश होना है और कैसे अपने आप को स्थिर रखता है क्योंकि किसी दिन आप 100 बनाते हो और किसी दिन आप जीरो पर भी आउट हो सकते हो ऐसे समय में स्थिरता की जरूरत होती है जो कि उन्हें क्रिकेट से मिली।
सौरव को सबसे पहले 1994-95 के सीजन में सिरमौर का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला उसके बाद वह लगातार सिरमौर के लिए अंडर-14, अंडर-16, अंडर-19, अंडर 22, और सीनियर स्टेट खेलते रहे। उन्हें 1995 के सीजन में पहली बार हिमाचल का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और पहले ही मैच में वह स्टार युवराज के अगेंस्ट खेले। यह मैच सोलन जिला में था। उनकी कप्तानी में पहली बार हिमाचल अंडर- 22 टीम ने लगातार मैचों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर को हराया। इस दौरान सौरव ने एक मैच में हैट्रिक भी बनाई और उनकी गिनती भारत के तीन बेहतरीन अंडर 22 गेंदबाजों में होती थी। वह 2004 के सीजन में पहली बार हिमाचल के लिए रणजी मैच खेले। 2005 सीजन में भी उन्हें हिमाचल के लिए खेलने का मौका मिला इस दौरान उन्होंने 10 मैचों में हिमाचल की टीम का रणजी में प्रतिनिधित्व किया। वनडे में भी वह लगातार हिमाचल के लिए खेलते रहे और बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे। सौरव की सिलेक्शन अंडर – 22 भारतीय टीम में भी हुई थी पर दुर्भगयवश भारत का वो ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द हो गया।
सौरव का कहना है कि क्रिकेट ने उन्हें जीवन में बहुत कुछ दिया है और सिखाया है और आज वह जो कुछ भी है क्रिकेट की वजह से हैं उन्होंने इस दौरान अपने समय के कई प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ियों जैसे युवराज सिंह आशीष नेहरा दिनेश कार्तिक, रॉबिन उथप्पा विजय दहिया, शिखर धवन ,जडेजा और हरभजन सिंह के विरुद्ध या उनके साथ खेले हैं
सौरव को अंडर-19 में नॉर्थ इंडिया खेलने का भी मौका मिला है और इस दौरान भी उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। सौरव आज हॉनरेबल हाई कोर्ट में वकील है उनकी क्वालिफिकेशन MBA, एलएलबी है सौरव काफी समय हिमाचल के अंडर -14 अंडर -16 अंडर -19 की टीम के सिलेक्टर भी रहे। सौरव से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया की जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राजेंद्र बब्बी ने उन्हें समय-समय पर सपोर्ट किया और उन्हें उनके करियर में आगे बढ़ाने में काफी मदद की।

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