सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के सिल्विकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग ने ‘कनेक्टिंग पीपल एंड प्लैनेट: एक्सप्लोरिंग डिजिटल इनोवेशन इन वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन’ थीम के तहत वन्य जीव संरक्षण दिवस मनाया। पहला विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस 4 दिसंबर 2012 को मनाया गया था और इस वर्ष की थीम वन्यजीव संरक्षण में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका और संरक्षण प्रथाओं को बदलने की उनकी क्षमता को रेखांकित करती है।
इस कार्यक्रम में विभाग ने बीएससी वानिकी छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला आयोजित की। इन गतिविधियों का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण के बारे में छात्रों की समझ को गहरा करना है, जिससे उन्हें वन्यजीवों की रक्षा के प्रयासों में और अधिक संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। प्रतियोगिताओं ने न केवल जागरूकता बढ़ाई बल्कि छात्रों और शिक्षकों को पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और सतत विकास को बढ़ावा देने में वन्यजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया।
इस कार्यक्रम ने वन्यजीव संरक्षण के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और हमारे ग्रह की विविध प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा के लिए चल रहे प्रयासों को उजागर करने के अवसर के रूप में भी काम किया।
कार्यक्रम में वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सीएल ठाकुर मुख्य अतिथि रहे। वन्यजीव संरक्षण में आवास संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए, डॉ. ठाकुर ने बताया कि आक्रामक प्रजातियों के प्रसार ने आवासों को नष्ट कर दिया है, जिससे मानव-पशु संघर्ष बढ़ गया है। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। सिल्विकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डीआर भारद्वाज ने पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वन्यजीवों की आवश्यक भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने खाद्य श्रृंखलाओं में ‘कीस्टोन प्रजातियों’ के महत्व और पक्षी संरक्षण में बर्ड रिंगिंग के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में छह स्नातक टीमों ने भाग लिया। तृतीय वर्ष के वानिकी छात्रों-आस्था, अदिति और हर्षित की टीम विजेता बनी, जबकि कार्तिक, अन्वी और कुमुद ने दूसरा स्थान हासिल किया। तीसरा स्थान विभूति, जसविंदर और प्रकृति की टीम ने जीता।
इस कार्यक्रम में डॉ. रोहित बिशिष्ठ, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रेम प्रकाश और डॉ. राजीव धीमान, डॉ. प्रशांत शर्मा सहित स्नातक और स्नातकोत्तर वानिकी छात्रों ने भाग लिया।