शिमला: पूर्व उद्योगमंत्री व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र प्रभारी बिक्रम ठाकुर ने आज शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश में पिछले 16 महीने से कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में उद्योग के लिए जिस प्रकार की परिस्थितियां बनाई है उस कारण उद्योग यहां से जा रहे हैं। बिक्रम ठाकुर ने शिमला में कहा कि जयराम ठाकुर की सरकार के समय में केंद्र सरकार से मिलकर जो बड़ी-बड़ी योजनाएं लेकर हम लोग आये थे, आज वह सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई हैं। उन्होंने सुक्खू सरकार पर आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की उद्योग नीति सही नहीं है, जिसके कारण हिमाचल से उद्योगों का पलायन हुआ हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री स्वाबलंबन योजना का गला घोटने का कार्य इस सरकार ने किया हैं। इस योजना के कारण से बहुत बड़ा काम पिछली सरकार के समय में हुआ। जिससे नौजवान 1 करोड़ रूपये तक के प्रोजेक्ट लगवा सकते थे। लगभग 4228 यूनिट नए लगे और 200 करोड़ रूपये की सब्सिडी रिलीज़ की गई थी, परन्तु आज स्थिति यह है कि मुख्यंमत्री स्वाबलंबन योजना को इस सरकार ने समाप्त कर दिया हैं और 200 करोड़ रूपये की देनदारी लंबित हैं। जिसमें ऊना के 150 के लगभग केसिस पेंडिंग पड़े हैं। 8 करोड़ रूपये की सब्सिडी नौजवान बच्चों की फंसी हुई है। इसी प्रकार से कांगड़ा के अंदर 320 केसिस पेंडिग है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी योजना थी जिसके कारण हर व्यक्ति, नौजवान को अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था और बड़े दुख की बात यह है कि सरकार की नाकामियों और नालायकियां के कारण ये योजनाएं बंद हो गई है।
पूर्व उद्योग मंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार की योजनाएं और प्रोग्राम इंडस्ट्रीज के लिए दिए हैं उसके कारण से इंडस्ट्री बैकफुट पर चली गयी हैं। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार के समय बड़े-बड़े प्रोजेक्ट हिमाचल को मिले जिसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को 2022 में 1923 करोड़ रूपये का बल्क ड्रग पार्क स्वीकृत किया गया। जयराम ठाकुर की सरकार के समय 225 करोड़ रूपये बल्क ड्रग पार्क के लिए जारी भी कर दिए गए थे। उस समय 1405 एकड़ जमीन इसके लिए निर्धारित की गयी, लेकिन आज 16 महीने बीत जाने के बाद भी कोई फाइनेंशियल इनवेस्टर इनके पास फाइनल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज यह स्थिति है कि हिमाचल में विकास विरोधी और विज़न विहीन सरकार चल रही हैं। जिसका परिणामस्वरूप इन बड़े प्रोजेक्टों के प्रति सरकार उदासीन है। इसके लिए सरकार के पास कोई भी क्लिअर कट मैप नहीं है की इस प्रोजेक्ट को किस प्रकार से पूरा किया जाए।