रिकांग पिओ, किन्नौर: किन्नौर जिले में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए आज एक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), रिकांग पिओ, द्वारा डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और आत्मा कार्यक्रम के सहयोग से राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है।

इस प्रशिक्षण में किन्नौर के 30 सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) भाग ले रहे हैं, जिन्हें स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल कृषि तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य इन युवाओं को अपने-अपने क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि के अग्रदूत और प्रचारक के रूप में तैयार करना है।
प्राकृतिक कृषि आज की जरूरत: उपायुक्त
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए, किन्नौर के उपायुक्त डॉ. अमित कुमार शर्मा ने प्राकृतिक कृषि की बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर जागरूकता, वैज्ञानिक प्रमाणिकता और अनुसंधान के जरिए ही इसे सफल बनाया जा सकता है।
केवीके के प्रमुख और शारबो केंद्र के सह-निदेशक डॉ. प्रमोद शर्मा ने कहा कि नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और किसानों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना अब बहुत जरूरी है।
आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. रमेश लाल ने राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) के तहत संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने सीआरपी को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए मार्गदर्शन भी दिया।
बागवानी विभाग, किन्नौर के उप-निदेशक डॉ. बी.एस. नेगी ने प्राकृतिक कृषि को सशक्त बनाने में वैज्ञानिक अनुसंधान की भूमिका पर बात की।
तकनीकी जानकारी और अनुभव साझा
इस प्रशिक्षण में फूड सिस्टम विश्लेषक आशीष गुप्ता ने किसानों को ‘सितारा प्रमाणन’ के बारे में बताया, जिससे वे आसानी से अपनी फसलों का प्रमाणीकरण करवा सकते हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती कर रहे कई प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. बुधी राम सहित केवीके, आत्मा और बागवानी विभाग के अधिकारी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। यह प्रशिक्षण पहल इन प्रतिभागियों को तकनीकी ज्ञान और व्यावहारिक कौशल से सशक्त बनाएगी, ताकि वे हिमाचल प्रदेश में सतत कृषि प्रणाली के विकास में अहम योगदान दे सकें।