जयपुर: गुलाबी नगरी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में चल रहे 28वें राष्ट्रीय लोकरंग उत्सव में हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति की अनूठी छटा देखने को मिल रही है। सिरमौर की ‘आसरा’ संस्था के कलाकारों ने गिरिपार क्षेत्र के प्राचीन ठोडा नृत्य, परात नृत्य और रासा नृत्य जैसी मनमोहक प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया है।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और जवाहर कला केंद्र द्वारा आयोजित यह भव्य सांस्कृतिक उत्सव 7 से 17 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें आसरा संस्था के कलाकार 7 से 11 अक्टूबर तक सिरमौर की समृद्ध लोक परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं।

पद्मश्री विद्यानंद सरैक और वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉ. जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में तैयार इन प्रस्तुतियों को जयपुर की जनता से भरपूर सराहना मिल रही है। लोकगायक गोपाल हाब्बी, सुनील चौहान और बिमला चौहान की सुरीली आवाज के साथ संदीप के ढोल, नरेंद्र की करनाल और बलदेव चौहान की बांसुरी की धुनों ने ऐसा समां बांधा कि पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इस राष्ट्रीय मंच पर जहां सिरमौर के कलाकारों ने अपनी छाप छोड़ी, वहीं राजस्थान के कालबेलिया, असम के बिहू, पंजाब के भांगड़ा और जम्मू-कश्मीर के रूफ जैसे नृत्यों ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक साथ प्रदर्शित किया।
संस्था के प्रभारी डॉ. जोगेंद्र हाब्बी ने बताया कि उनका उद्देश्य सिरमौर के पारंपरिक लोक नृत्यों को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाना और युवा पीढ़ी को अपनी पुरातन संस्कृति से जोड़ना है।