शिमला: हिमाचल प्रदेश में चिकित्सकों की हड़ताल खत्म होने और उनके काम पर लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे जनहित में लिया गया सकारात्मक फैसला बताया है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी डॉक्टर का करियर खराब नहीं करना चाहती।
आईजीएमसी के डॉ. राघव नरूला की बर्खास्तगी के मामले में सरकार अब एक नरम रुख अपनाते हुए रिव्यू (पुनर्विचार) करने जा रही है। इसके लिए एक नई कमेटी का गठन किया जाएगा, जो निष्पक्षता से पूरे प्रकरण की जांच करेगी। सीएम ने साफ किया कि टर्मिनेशन का फैसला सरकार ने सीधे तौर पर नहीं, बल्कि अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर विभाग द्वारा लिया गया था।

मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए उन पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश भाजपा पांच गुटों में बंटी हुई है और उनकी आंतरिक कलह इस मामले में भी उजागर हुई है। सीएम ने कहा कि एक तरफ भाजपा का एक विधायक डॉक्टर का समर्थन कर रहा था, तो दूसरा विधायक मरीज के पक्ष में खड़ा नजर आया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बयानों को भी खारिज करते हुए कहा कि वे केवल सुर्खियों में रहने के लिए रोजाना आधारहीन बयानबाजी करते हैं, जबकि सरकार का एकमात्र उद्देश्य जनता को राहत पहुंचाना है।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने की सुगबुगाहट के विरोध में सोमवार को कांग्रेस ने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया। महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार समेत तमाम कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों ने मौन धरना देकर अपना विरोध दर्ज करवाया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा बदले की भावना के साथ-साथ बदलने की भावना से काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश के इतिहास और महापुरुषों की विरासत से छेड़छाड़ करने का प्रयास कर रही है, जिसे कांग्रेस कभी स्वीकार नहीं करेगी।