डॉक्टरों की हड़ताल के बीच CM ने दिया रिव्यू का भरोसा, छुट्टियां रद्द, सख्त SOP जारी

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By Hills Post

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में सीनियर रेजिडेंट डॉ. राघव नरुला की बर्खास्तगी के विरोध में डॉक्टर हड़ताल पर है। आईजीएमसी के अटल सभागार के बैडमिंटन हॉल में मेडिकल छात्रों व चिकित्सकों ने भारी संख्या में एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने बिना विस्तृत जांच के एकतरफा कार्रवाई की है, जो न्यायसंगत नहीं है।

इस बीच, बिगड़ते हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वयं हस्तक्षेप किया है। उन्होंने डॉक्टरों से भावनात्मक अपील करते हुए हड़ताल खत्म कर सोमवार से काम पर लौटने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे आईजीएमसी के सीनियर डॉक्टरों से चर्चा करेंगे, मामले की पूरी निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी और बर्खास्तगी के फैसले को रिव्यू (पुनर्विचार) किया जाएगा।

दूसरी ओर, हड़ताल के चलते प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। कई जगह ओपीडी में मरीजों की जांच नहीं हो सकी और रूटीन ऑपरेशन टाल दिए गए, जिससे दूरदराज से आए मरीजों और तीमारदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि वरिष्ठ डॉक्टरों ने ओपीडी में मोर्चा संभाला, लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा।

इस स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) ने अस्पतालों में आपात सेवाओं को सुचारु रखने के लिए एक सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। इसके तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल, अतिरिक्त निदेशक और एमएस की छुट्टियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है और उन्हें स्टेशन न छोड़ने के आदेश दिए गए हैं।

सरकार द्वारा जारी एसओपी के अनुसार, वरिष्ठ एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों (कंसल्टेंट) का ओपीडी में बैठना अनिवार्य कर दिया गया है। जूनियर व सीनियर रेजिडेंट और फैकल्टी को 24 घंटे उपलब्ध रहने के निर्देश दिए गए हैं। ऑपरेशन थिएटर में फिलहाल रूटीन सर्जरी बंद रहेंगी और केवल आपातकालीन ऑपरेशन ही किए जाएंगे। इसके अलावा, विभागाध्यक्षों को ड्यूटी रोस्टर बनाने और रोजाना शाम चार बजे रिपोर्ट भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भर्ती मरीजों के लिए रोजाना वार्ड राउंड अनिवार्य किया गया है। सरकार ने कड़े लहजे में चेतावनी दी है कि यदि निर्देशों की अवहेलना की गई या आवश्यक सेवाओं में बाधा डाली गई, तो नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. गोपाल बेरी ने स्पष्ट किया है कि आपातकालीन सेवाएं किसी भी सूरत में बाधित नहीं होने दी जाएंगी और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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