नौणी विश्वविद्यालय व हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस में सेब के सिरके के लिए समझौता

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By Hills Post

सोलन: अकादमिक और उद्योग साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, हाल  ही में डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने शिमला जिला के रोहड़ू की  हिमगिरी एग्री सॉल्यूशन्स, के साथ एप्पल साइडर विनेगर (सेब का सिरका) के उत्पादन के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह तकनीक विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा डी.एस.टी. परियोजना के अंतर्गत विकसित की गई है।

विश्वविद्यालय की ओर से यह समझौता अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस के प्रमोटर जतिंदर सिंह और जोगिंदर सिंह द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल, बागवानी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. मनीष शर्माखाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश शर्मा तथा विभाग के अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय द्वारा एप्पल साइडर विनेगर के लिए हस्तांतरित की गई तीसरी नॉन इक्स्क्लूसिव प्रौद्योगिकी है। समझौते के अंतर्गत, हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस इस तकनीक के माध्यम से उत्पाद तैयार करेगा और बाजार में बेचेगा, साथ ही उत्पाद के लेबल पर विश्वविद्यालय की तकनीक का उल्लेख भी करेगा। इसके लिए कंपनी ने प्रौद्योगिकी शुल्क भी अदा किया है।

इस अवसर पर तकनीक को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि यह तकनीक परंपरागत विधियों की तुलना में अधिक प्रभावी है और लो ग्रेड और विकृत सेब, जो सामान्यतः संसाधन न होने के कारण बर्बाद हो जाते है, के पूर्ण उपयोग की संभावनाएं प्रदान करती है,। यह किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है।

कुलपति प्रो. चंदेल ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि एप्पल साइडर विनेगर की स्वास्थ्य संबंधी लाभों के कारण इसकी मांग काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह नवाचार न केवल किसानों की आय में वृद्धि करता है, बल्कि सेब उत्पादन क्षेत्रों में कम गुणवत्ता वाले सेबों की भारी बर्बादी की समस्या को भी प्रभावी ढंग से संबोधित करता है। इस तकनीक के माध्यम से सिरका उत्पादन की गुणवत्ता और दक्षता, पारंपरिक धीमी विधियों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर हुई है।

हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस की ओर से जतिंदर सिंह ने विश्वविद्यालय के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि “यह तकनीक हमें स्वास्थ्यवर्धक और किफायती उत्पाद आम जनता तक पहुंचाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हम इस भागीदारी को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यह समझौता हिमगिरी और विश्वविद्यालय के बीच सहयोग को और आगे बढ़ता है। पहले की साझेदारियों में खेतीयारी प्लेटफॉर्म के माध्यम से कृषकों के लिए कौशल विकास और ऑनलाइन कृषि शिक्षा और विश्वविद्यालय परिसर में पीपीपी मॉडल पर फल प्रसंस्करण इनक्यूबेशन सेंटर का संचालन शामिल है। यह सहयोग कृषि नवाचार और उद्यमिता का एक आदर्श मॉडल बनता जा रहा है।

यह तकनीक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की परियोजना ‘हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में कमजोर वर्गों की आजीविका के लिए एप्पल साइडर विनेगर उत्पादन तकनीक का मानकीकरण एवं व्यवसायीकरण’ के तहत विकसित की गई थी। इस परियोजना की शुरुआत 2014 में हुई और 2016 तक उच्च गुणवत्ता वाले साइडर विनेगर को कम समय में तैयार करने हेतु कई प्रक्रियाओं का मानकीकरण किया गया। वर्ष 2018 में, हिली फूड्स इस तकनीक का उपयोग कर एप्पल साइडर विनेगर उत्पादन के लिए विश्वविद्यालय के साथ समझौता करने वाली पहली कृषि स्टार्टअप बनी थी, जबकि 2021 में एक अन्य स्टार्टअप रुहिल  ने इस तकनीक के लिए गैर-विशेष अधिकार (non-exclusive) समझौता किया। 

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