राजगढ़: सिरमौर जिला के पच्छाद विकासखंड के वासनी गांव में मंगलवार को प्राकृतिक खेती पर एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने रासायनिक खेती को छोड़कर पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती ही ‘वन हेल्थ’ यानी उत्पादक, उपभोक्ता और पर्यावरण, तीनों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है। राज्य कृषि विभाग और आत्मा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

प्रो. चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती से न केवल उत्पादन लागत घटती है, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता भी बढ़ती है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने आसपास प्राकृतिक खेती कर रहे सफल किसानों के खेतों का दौरा करें और इस पद्धति को प्रत्यक्ष रूप से समझें। इस मौके पर आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. साहिब सिंह ने बताया कि सिरमौर जिले के लगभग 60,000 किसानों में से 19,000 से अधिक किसान पूरी तरह या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार भी प्राकृतिक उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मार्केटिंग की सुविधा देकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
विश्वविद्यालय कर रहा अग्रणी शोध
कुलपति ने जानकारी दी कि नौणी विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती पर अग्रणी शोध कर रहा है और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर वैज्ञानिक डेटा तैयार कर रहा है, ताकि इस पद्धति को और अधिक मान्यता मिले। वहीं, कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. राज कुमार ने फसल बीमा और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान प्राकृतिक खेती से जुड़े उत्पादों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जो किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र रही।