शिमला: हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय लवी मेले का मंगलवार को रामपुर बुशहर में भव्य शुभारंभ हो गया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस मेले का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने मेले के सांस्कृतिक और व्यापारिक महत्व को रेखांकित करते हुए प्रदेश में ‘चिट्टे’ के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त की।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में ही इस मेले को अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि लवी मेला केवल व्यापार का उत्सव नहीं, बल्कि एक समृद्ध परंपरा और हिमाचल की सामूहिक एकता का प्रतीक है।

नशे के खिलाफ एकजुट प्रयासों का आह्वान
राज्यपाल ने प्रदेश में नशीले पदार्थों के बढ़ते खतरे पर कड़े शब्दों में चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नशे को जड़ से मिटाने के लिए एकजुट प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुलिस अवैध व्यापार में शामिल लोगों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए मजबूत सामुदायिक भागीदारी जरूरी है। हमें चिट्टा जैसी लत फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ एकजुट होना होगा, जो परिवारों को बर्बाद कर रही हैं।
कला और शिल्प को मिलता है बढ़ावा
राज्यपाल ने कहा कि ऐसे उत्सव पारंपरिक कला, संगीत और शिल्प को बढ़ावा देने का एक मंच प्रदान करते हैं। उन्होंने स्थानीय शिल्प, ऊनी उत्पादों और सूखे मेवों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि इससे कारीगरों और किसानों को अपने उत्पादों के विपणन के लिए बहुमूल्य अवसर मिलते हैं। इससे पहले, राज्यपाल ने विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का भी शुभारंभ किया।
राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक नंद लाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि लवी मेले का ऐतिहासिक और व्यावसायिक महत्व है, जो विशेष रूप से ऊनी वस्तुओं के व्यापार के लिए जाना जाता है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि अब मेले में खेल गतिविधियों को भी शामिल किया जा रहा है, जिससे युवाओं में इसका आकर्षण बढ़ रहा है।